
चाणक्य
ने कहा है, "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं
होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।" इसी से सम्बंधित एक
प्रसंग है- भगवान बुद्ध के पास एक बार एक व्यक्ति पहुंचा। वह उनके प्रति
ईष्र्या और द्वेष से भरा हुआ था। पहुंचते ही लगा उन पर अपशब्दों और झूठे
आरोपों की बौछार करने। भगवान बुद्ध पर उसका कोई असर नहीं हुआ। वह वैसे ही शांत बने रहे,
जैसे पहले थे। इस पर वह व्यक्ति आग-बबूला हो गया। उसने पूछा, "तुम ऐसे...