Tuesday, February 5, 2013

33 करोड़ हिन्दू देवी देवताओं के सच पूरा

हम लोगों ख़ास कर मुगलों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं. मुस्लिमों की ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि भगवान् ने मूर्खता का सारा ठेका. थोक के भाव में मुगलों को ही दे रखा है. तभी वे, कभी भी अक्ल की बात करते ही नहीं हैं! मुस्लिमों की देखा देखी आज कल उनके सरपरस्त और वर्णसंकर प्रजाति के लोगों को भी (जिसे आधुनिक बोलचाल की भाषा में "सेक्यूलर" भी कहा जाता जाता है) भी ऐसा ही बोलते देखा जा सकता है! 33 कोटि देवी देवता का अर्थ 33 प्रकार होता है और करोड़ भी। लेकिन ऐसा है नहीं और, सच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है! दरअसल हमारे वेदों में उल्लेख है. 33 "कोटि" देवी-देवता! अब "कोटि" का अर्थ "प्रकार" भी होता है और. "करोड़" भी! तो मूर्खों ने उसे हिंदी में. करोड़ पढना शुरू कर दिया. जबकि वेदों का तात्पर्य. 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है. (उच्च कोटि. निम्न कोटि इत्यादि शब्द) तो आपने सुना ही होगा. जिसका अर्थ भी करोड़ ना होकर प्रकार होता है) ये एक ऐसी भूल है. जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया! इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ सकते हैं! अगर कोई कहता है कि बच्चों को "कमरे में बंद रखा" गया है! और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले कि... बच्चों को कमरे में "बंदर खा गया" है! कुछ ऐसी ही भूल. अनुवादकों से हुई अथवा दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया. ताकि, इसे हाइलाइट किया जा सके! सिर्फ इतना ही नहीं. हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-साफ उल्लेख है कि. "निरंजनो निराकारो.. एको देवो महेश्वरः" अर्थात इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन... निराकार महादेव हैं...! साथ ही यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है कि हिन्दू सनातन धर्म. मानव की उत्पत्ति के साथ ही बना है. और प्राकृतिक है. इसीलिए. हमारे धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीना बताया गया है. और, प्रकृति को भी भगवान की उपाधि दी गयी है. ताकि लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें! जैसे कि..गंगा को देवी माना जाता है. क्योंकि.. गंगाजल में सैकड़ों प्रकार की हिमालय की औषधियां घुली होती हैं..! गाय को माता कहा जाता है. क्योंकि गाय का दूध अमृततुल्य. और, उनका गोबर एवं गौ मूत्र में विभिन्न प्रकार की औषधीय गुण पाए जाते हैं! तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है कि... तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय गुण हैं.! इसी तरह वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और, थके हुए राहगीर को छाया भी प्रदान करते हैं...! यही कारण है कि. हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में. प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है. क्योंकि, प्रकृति से ही मनुष्य जाति है. ना कि मनुष्य जाति से प्रकृति है..! कालांतर में ईसाई और इस्लाम सरीखे. बिना सर-पैर वाले सम्प्रदायों के आ जाने के कारण और, उनके द्वारा. प्रकृति का सम्मान नहीं करने के कारण ही. आज हम ग्लोबल वार्मिंग वार्मिंग और, ओजोन परत जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं! अतः. प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है. ! यही कारण है कि. हमारे धर्म ग्रंथों में. सूर्य, चन्द्र. वरुण. वायु. अग्नि को भी देवता माना गया है. और, इसी प्रकार. कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं.! इसीलिए, आप लोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें. क्योंकि. ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं. जो निरंजन... निराकार महादेव हैं...! बाकी के ईसा मसीह वगैरह. को संत या महापुरुष कहा जा सकता है. परन्तु भगवान् नहीं!

3 comments:

  1. ग्यारह रूद्र, बारह आदित्य, आठ वासु ,इन्द्र और प्रजापति |ये हैं वे तैतीस देवताओं के नाम .

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  2. यही कारण है कि. हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में. प्रकृति की पूजा को प्राथमिकता दी गयी है. क्योंकि, प्रकृति से ही मनुष्य जाति है. ना कि मनुष्य जाति से प्रकृति है..! कालांतर में ईसाई और इस्लाम सरीखे. बिना सर-पैर वाले सम्प्रदायों के आ जाने के कारण और, उनके द्वारा जो किर्या कलाप किये गए है बही प्रदृति के लिए उच है अधिक देखने के लिए हिन्दी समाचार

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  3. हिन्दू देवी देवताओं की सूची

    यह हिन्दू देवी देवताओं की सूची है। हिन्दू लेखों के अनुसार, धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवता बताये गये हैं। इनमें स्थानीय व क्षेत्रीय देवी-देवता भी शामिल हैं)। वे सभी तो यहां सम्मिलित नहीं किये जा सकते हैं। फिर भी इस सूची में तीन सौ से अधिक संख्या सम्मिलित है।

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    अंशअग्निअच्युतअदितिअनलअनिलअनुमतिअनुराधाअपम नपतअम्मावरुअय्य वैकुंदरअय्यनारअय्यप्पनअरण्यानिअरुंधतिअरुणअर्जुनअर्धनारीअर्यमनअश्लेषअश्विनीअसुरअस्तमतरअस्वायुजौआकाशआदिमूर्तिआपःआदित्यआर्द्रा (देवी)

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    इंद्यइंद्राणीईशानईश्वर

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    उमाउषा

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    कण्ण्किकमलात्मिकाकलाकश्यपकात्यायनीकामदेवकामाक्षीकार्तिकेयकालीकुबेरकृष्णखाँडोबागणेशगरुड़गायत्रीघनश्याम

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    चंद्रचामुंडाचित्रगुप्तछिन्नमस्ताजगद्धात्रिजगन्नाथज्योतिबानागार्जुनतारादेवीतिरुपति बालाजीथिमप्पातेजाजीत्रिपुर शक्तित्रिपुर संदरीदक्षदक्षायनिदत्तात्रेयदनुदिक्पालदितिदुर्गादेवदेवीद्रौपदीधन्वंतरीधराधात्रिधूमावतीनंदिनीनंदीनटराजनयना देवीनागदेवतानागराजनारदनिर्रतनिर्रिथनूकंबिकानृसिंह

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    परशुरामपरांजयपराशिवपशुपतिपार्वतीपुरुषपूषापृथ्वीप्रजापतिबगलाबगलामुखीबड़ी माताबलरामबहुचर माताबांका मुंडीबालाजीबीरलिंगेश्वरबुद्धबुद्धिबुधि पलिएनबृहस्पतिब्रह्माब्राह्मणीभगभद्राभरणीभवानीभारतीभीकिभुवनेश्वरीभूतमाताभूमिदेवीभूमियाभैरवभैरवीमणिकांतमदुरई वीरनमरिअम्मनअम्मामरुद्गणमहालसमहाविद्यामहाविष्णुमातंगीमातृकाएंमानसमित्र (देव)मीनाक्षीमीनुशमुतथप्पनमुत्यलाममुनिआंदिमुरुगनमूकंबिकामूक्यप्राणमोहिनीम्हासोबा

    यवर्गEdit

    यमराजयमीयुधिष्ठिरयेल्लम्मारंगनाथरतिरविरात्रिराधारामरामनाथरुद्ररेणुकारेवंतरोहिणीलक्ष्मणलक्ष्मीललितावरुणवसुवामनवायुवाराहविजय दुर्गाविठोबाविवस्वानविश्वकर्माविष्णुवीर म्हस्कोबावीर म्हस्कोबावीरभद्रवेंकटेश्वरवैष्णो देवी

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    शक्तिशक्तिपीठशांतदुर्गाशिरडी सांई बाबाशिवशीला देवीशेषश्रवणकुमारसतीसरण्युसरस्वतीसावित्रसावित्रीसीतासुब्रह्मण्यमसूर्यसोमस्कंदस्वामिनारायणस्वाहाहनुमानहरि

    ब्रह्मा के स्वरूपEdit

    प्रजापति

    शिव के स्वरूपEdit

    महादेवप्रजापतिखाँडोबाज्योतिबाभैरवहनुमाननटराजअर्धनारीहर्यर्धमूर्तिदक्षिणमूर्तिपशुपतिलिंगोद्भवमूर्तिभिक्षातनमूर्तिपस्तशिवपशुपतिआदि शंकराचार्य

    देवी के रूपEdit

    भवानीदुर्गानवदुर्गाशैलपुत्रीब्रह्मचारिणीकूष्मांडास्कंदमाताकात्यायनीमहागौरीनंदिनीकालरात्रिचंद्रघंटासिद्धिदात्रिजगद्धात्रीपार्वतीसतीशक्तिमातृकाएंमहाविद्याकालीतारात्रिपुर सुंदरीभुवनेश्वरीभैरवीछिन्नमस्ताधूमावतीबगलामुखीमातंगीकमलात्मिकालक्ष्मीअष्टआदि-लक्ष्मीधन-लक्ष्मीधान्य-लक्ष्मीसंतान-लक्ष्मीविजय-लक्ष्मीविद्या-लक्ष्मीधैय-लक्ष्मीगज-लक्ष्मीश्रीभूदेवीअलक्ष्मीसरस्वतीगायत्रीसावित्रीशतरूपावाक्Patatoeशारदा

    ब्रह्मा के "मानसपुत्र "

    ब्रह्मा जी के १७ मानस पुत्र कहे जाते है:-मन से मारिचिनेत्र से अत्रिमुख से अंगिरसकान से पुलस्त्यनाभि से पुलहहाथ से कृतुत्वचा से भृगुप्राण से वशिषठअंगुषठ से दक्षछाया से कंदर्भगोद से नारदइच्छा से * सनक * सनन्दन * सनातन * सनतकुमारशरीर से मनुध्यान से चित्रगुप्त

    वायु के अवतार

    हनुमान – वायु पुत्रभीम – वायु पुत्रमाधवाचार्य

    वरुण के अवतार

    झुलेलाल - सिंधियों के भगवान

    लक्ष्मी के "अवतार"

    सीतारुक्मिणीपद्मावती

    दुर्गा

    चंडनायिका

    विष्णु के रूप

    वेंकटेश्वरतिरुपति बालाजीविट्ठल (पांडुरंग)

    अवतारEdit

    दशावतार

    मत्स्यकूर्मवाराहनृसिंहवामनपरशुरामरामकृष्णगौतम बुद्धकल्कि, जो कलि युग के अंत में अवतार लेंगे, लगभग 428899 ईसवी मेंबलराम को कई लोग बुद्ध के स्थान पर दशावतारों में गिनते हैं, अन्यथा बलरामशेषनाग के अवतार कहलाते हैं।

    चौबीस अवतार

    पुराणानुसार चौबीस अवतार कहे जाते हैं। इनका विवरण श्रीमद भगवद गीता में भि मिलता है।सनकादि ऋषि: (ब्रह्मा के चार पुत्र)नारदवाराहमत्स्ययज्ञ (विष्णु कुछ काल के लिये इंद्र रूप में)नर-नारायणकपिलदत्तात्रेयहयग्रीवहंस पुराण।हंसपृष्णिगर्भऋषभदेवपृथुनृसिंहकूर्मधनवंतरीमोहिनीवामनपरशुरामरामव्यासकृष्णबलरामगौतम बुद्धकल्कि

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