Blog : आलोचना का भी करें प्रबंधन

चाणक्य ने कहा है "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।"

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Friday, February 15, 2013

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (AMU) के 60 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सोनिया गांधी

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के 16 फरवरी को होने वाले 60 वें दीक्षांत समारोह की सभी तैयारी पूरी है इसके साथ ही यह सवाल भी तैरने लगे हैं कि मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आने का राजनीतिक सबब क्या है? वैसे फिलहाल तो सोनिया के एएमयू में आने से कांग्रेस और यूनिवर्सिटी दोनों ही पक्षों को फायदा होता दिखाई दे रहा है।

यूनिवर्सिटी प्रशासन को लग रहा है कि सोनिया चूंकि सत्तारूढ़ यूपीए की अध्यक्ष हैं इसलिए विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की राह उनके आने से आसान होगी। दूसरी ओर सन 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होकर सोनिया देश के अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं में एक संदेश भी देना चाहती हैं, जिससे उनका झुकाव वह पार्टी की ओर कर सकें।

वैसे राहत की बात यह है कि इस दीक्षांत समारोह की राह में सोनिया गांधी के लिए कुछ दिनों पहले तक दिखाई दे रहे रुकावट के पत्थर हट चुके हैं। कुछ दिन पहले हुए छात्र संघ चुनाव में मुखर रहा अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा सोनिया के समक्ष रखने पर सहमति हो चुकी है। जबकि इससे पहले घोषणाएं की गईं कि पहले दर्जे बहाली की घोषणा हो तब वह कैंपस में कदम रखें।

सब कुछ ठीक ही था कि संसद हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू की फांसी के बाद एएमयू का माहौल सरमगर्म हो गया था। विश्वविद्यालय के कश्मीरी छात्रों ने नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी। एक दिन बाद फांसी के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकाला। लेकिन जल्द ही उन्हीं की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि सोनिया के आगमन से उनका कोई विरोध नहीं है, उनका यहां स्वागत है। अब सब कुछ ठीक हो चला है।

वहीं, जानकारों का मानना है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक स्वरुप बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरोकारी का वादा कर सकती हैं। लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पास न होने के बारे में उनका तर्क यह हो सकता है कि सदन में उनके पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। इसके अलावा यहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौगात की घोषणा भी कर सकती हैं।

देखना यह है कि दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय को इस मेजबानी के एवज में क्या मिलता है? और 2014 में कांग्रेस को सोनिया के विश्वविद्यालय में आने का क्या फायदा मिलता है? यह अभी भविष्य की बात है।

Thursday, February 14, 2013

केंद्र सरकार गोमांस खाने को बढ़ावा दे रही

आयरन की कमी के लिए गाय का मीट खाना चाहिए, ये कथन छापने वाली केंद्र सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्रालय की किताब 'पोषण' विवादों में घिर गई है। भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने वोट बैंक तुष्‍टीकरण के लिए आयरन की कमी पूरी करने के नाम पर गोमांस खाने का प्रचलन बढ़ा कर घोर पाप किया है। पार्टी इस मुद्दे को संसद में भी उठाएगी। मेरठ में बुधवार को भाजपाइयों ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कार्यालय पर जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही गोमांस के बारे में ऐसा लिखा गया है।
जो सरकार गौ मांस खाने की बात करे उससे गौरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है. जी हाँ कांग्रेस मुस्लिम वोट को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है. केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक एवं राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में शरीर में ऑक्सीजन संचरण और खून बनाने के लिए गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। यह सलाह बाकायदा बुकलेट वितरित करके दी जा रही है। मवाना कस्बे में ये बुकलेट सामने आए हैं।
यह किताब हिन्दुओं को भड़काने वाली और उनकी भावनावों से खिलवाड़ है। मुस्लिमों के खिलाफ कुछ भी छपते ही या फिल्म के एक डायलाग पे ही मरने मारने पे उतारू हो जाते है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय कोई मुस्लिम मंत्रालय नहीं बल्कि उसमें सिख/पारसी और दूसरे धर्म भी शमिल है। हिन्दू धर्म मे गोमांस (हराम) है फिर क्यो हमारी भावना को आहत किया जाता है? हिन्दू गाय को लेकर ही पिछले 1300 साल से मुसलमानो से मानसिक तौर से कभी नहीं जुड़ा और इस कौम को अजनबी ही आज तक माना जाता रहा है। आयरन बढने के लिय गाय खाई जाये यह कही नहीं लिखा है, आयरन बढ़ाने के और भी उपाय है। पर इस पुस्तक का उद्देश सिर्फ हिन्दुवों को भड़काने और नीचा दिखाने के लिय ही किया या है। हिन्दू में मांसाहार वर्जित नहीं है पर हिन्दू स्मृतिकारों ने साफ लिखा गकि (जिस पशु से श्रम (मेहनत) लिया गया हो उसका वध निषेध (हराम) है। हम अहसान फरामोश नहीं है, इसलिय सभी घरेलू प्राणी जिससे श्रम (लेबर) के रूप में लिया गया हो उशका वध नहीं सकता। इस प्रकार गाय ही नहीं बल्कि ऊंट, गधा, घोडा, भैंस बैल सब हराम हो गए। दूसरे जीव स्म्रतिकारों के अनुसार जिस जानवर के हाथ मे पाँच नाखून (पंच नखा वर्जित) है जैसे भालू, बंदर, गोह, कूत्ता, स्वय इंसान, इन सब का मांसाहार वर्जित (हराम) है। इस्लाम मे सुवर (पिग) को छोड़ कर सब को हलाल (जायज़) कर दिया यानि आदमी को भी हलाल है और उसका मांस भी उचित है संक्षेप मे हिन्दू धर्म मे जिस पशु से श्रम (लेबर) लिया हो और पंच नखा (पाँच नाखून वाला जीव) वर्जित है। मुसलमानो मे गाय का क़तल के ऊपर एक पूरा सूरा है। सूरा-बकरा, अरबी मे बकरा का मतलब गाय ही होता है। यहूदी लोग सुवर, ऊंट, खरगोस का मांश वर्जित पर अरबों मे ऊंट का मांस प्रिय था इसलिय अपनी पसंद कि हर चीज़ हलाल (जायज) हो गयी और नापसंद कि चीज़ हराम (नाजायज) हो गयी और समर्थन मे पप्पट अल्लाह कि मोहर लगवा दी। इस पुस्तक को तत्काल प्रतिबंधित कि जाए और दोषी को जेल भेजा जाए।

Friday, February 8, 2013

Blog : संसद हमला अफजल गुरु और जनाक्रोश...

दामिनी प्रकरण में उमडे जनाक्रोश की धमक से सहमें हुक्मरानों ने दी संसद हमला काण्ड के गुनाहगार अफजल गुरू को फांसी 13 दिसम्बर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी आतंकी अफजल को दिल्ली के तिहाड़ जेल में आज 9 फरवरी तडके 5बजे कर 25 मिनट पर फांसी दे दी गयी। तिहाड की जेल नम्बर 3 में दी गयी देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर पाक द्वारा कराये गये आतंकी हमले के इस दोषी अफजल गुरू को फांसी पर न लटकाये जाने से पूरे देश की जनता देश के हुक्मरानों को वर्षों से धिक्कार रहे थे । जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 में इस आतंकी को फांसी की सजा देने के बाबजूद तमाम प्रक्रिया से गुजरने के बाद 20 अक्टूबर 2006 में इसकी फांसी की सजा पर अंतिम मुहर लग गयी। परन्तु तब से इसको फांसी देने में राष्टपति के समक्ष दया की याचिका के नाम पर लटकाया गया। देश ही नहीं पूरा विश्व संसद पर हमले के फांसी की सजा पाये आतंकी अफजल गुरू को भारतीय हुक्मरानों द्वारा फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता पर हैरान था वहीं इस प्रकरण से जहां जग हंसाई हो रही थी वहीं देश के नागरिकों का आक्रोश निरंतर बढ़ रहा था।

इसके साथ देश के सुरक्षा बलों का मनोबल पर विपरित प्रभाव पढ़ने व आतंकियों को हौसले बढ़ने के बाबजूद देश की सरकार नपुंसकों की तरह मूक बेठी हुई थी। इसी बीच दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए एक छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार के शिकार प्रकरण पर नपुंसक सरकार के खिलाफ 22व 23 दिसम्बर को इंडिया गेट से विजय चैक यानी राष्टपति के दर तक उमडे अभूतपूर्व जनाक्रोश से देश के हुक्मरान न केवल भौचंक्के रह गये अपितु बेहद सहम गये। देश के हुक्मरानों ने जो जनाक्रोश मिश्र, लीबिया व सीरिया सहित संसार के देशों में देखा उन्हें राष्ट्रपति के दर पर आजादी के बाद पहली बार उमडे इस प्रकार के जनाक्रोश ने पूरी तरह हिला कर रख दिया। इसी जनाक्रोश से भयभीत जनभावनाओं को रौंदने वाली व अफजल गुरू जैसे आतंकी को सजा देने में नपुंसक बनी हुई मनमोहनी सरकार ने इसी शुक्रवार 8 फरवरी को गृहमंत्रालय के द्वारा फांसी देने का फेसला लेने के लिए मजबूर हुई और 9 फरवरी की प्रातः इस आतंकी को फांसी की सजा दे दी गयी। इस आतंकी को तिहाड़ जेल में ही दफनाने का निर्णय लिया गया। इस प्रकार दामिनी का बलिदान व जनाक्रोश दोनों ने देश पर लगे इस आतंकी के कलंक से मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि इसके पहले राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की दया याचिका को 3 फरवरी को खारिज कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस आतंकी को फांसी की सजा देने की अपील को ठुकराने के बाद देश की सरकारों ने कई वर्षो तक इसे फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से न केवल देश के नागरिक आक्रोशित थे अपितु इस हमले में संसद की रक्षा व आतंकियों को मार गिराने में अपनी शहादत देने वाले अमर वीर जवानों के परिजनों ने 13 दिसम्बर 2006 को सरकार को अपने सम्मान भी सामुहिक रूप से वापस कर दिये थे। 13 दिसम्बर 2001 को यह आतंकी हमला उस समय हुआ जब संसद का सत्र चल रहा था उस दिन पाकिस्तान के आतंकी लक्शरे ताइबा व जैश मोहम्मद के 5 आतंकियों ने गृहमंत्रालय का स्टीकर लगी कार से दाखिल हो कर अंधाधुंध गोलिया चला कर संसद में घुसने की कोशिश की इसको जांबाज सुरक्षा बलों ने अपनी जान की बाजी लगा कर विफल करके पांचों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। उस समय संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी ही नहीं अपितु उप राष्ट्रपति भी संसद में थे। इस हमले में पांचों आतंकियों सहित 12 लोग मारे गये और 18 घायल हो गये। शहीद होने वालों में 5 पुलिस के जवान, एक संसद का सुरक्षा गार्ड व एक माली था। देश में अफजल गुरू के अलावा 5 आतंकी और भी है जिनको फांसी पर लटकाये जाने का इंतजार देश कर रहा है। इनमें राजीव गांधी गांधी के हत्यारों मुरुगन, संथान और पेरारिवलन, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने वाले बलवंत सिंह राजोआना तथा मनिंदर जीत सिंह बिट्टा को निशाना बनाकर बम धमाका करने वाले देविंदर पाल भुल्लर, शामिल हैं। आतंकी अफजल गुरू कश्मीर के बारामूला जनपद का मूल निवासी है। वह एमबीबीएस का प्रथम वर्ष की परीक्षा पास करने के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए तैयारी भी कर रहा था। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का आतंकी बन गया। बीच में उसने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्म सम्र्पण भी कर दिया था। वह पाक भी आतंकी टे�र्निग लेने गया। उसके बाद वह अपने मूल स्थान सपोर में अनन्तनाग के आतंकी तारिक के सम्पर्क में आने से वह पुन्न आतंकी गतिविधियों मे ऐसा सम्मलित हुआ कि वह दिल्ली में संसद व दूतावास पर हमला करने के लिए आत्मघाती आतंकी बन गया। उसको फांसी की सजा देने का विरोध न केवल आतंकी संगठन कर रहे थे अपितु जम्मू कश्मीर की सरकार भी उसकी फांसी की सजा माफ करने के लिए केन्द्र सरकार पर निरंतर दवाब बना रही थी। 

Thursday, February 7, 2013

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मामले को बार-बार टाले जाने पर सीबीआई को जमकर फटकार लगाई है।

अयोध्या मे बाबरी ढांचे के विध्वंश को राष्ट्रीय अपराध कहने पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार लगाना स्वागत योग्य है। एक बार पुनः साबित हो चुका है कि सी.बी.आई. कांग्रेस पार्टी के एजेण्ट के रूप में कार्य कर रहा है। मा0 उच्चतम न्यायालय की यह फटकार प्रयागराज महाकुम्भ में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल एवं धर्म संसद में हुये पारित प्रस्तावों की पुष्टि करता है।

सी.बी.आई. कांग्रेस के एजेण्ट के रूप में कार्य करते हुये केवल राजनीतिक विद्वेष की भावना से देश के धर्माचार्यो तथा प्रमुख हिन्दू नेताओं को जबरन मुकदमों में फॅसाकर हिन्दुओं को अपमानित कर रही है। इससे प्रयागराज महाकुम्भ में धर्माचार्यो मे व्यापक आक्रोश है। गोरक्षपीठाधीश्व­र पूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की अध्यक्षता में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल द्वारा जो छः प्रस्ताव पारित किये, उनमें से अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मन्दिर का निर्माण, धर्मान्तरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को पूर्ण प्रतिबन्धित करना, गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिये केन्द्रीय कानून बनाना, गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिये नये सिरे से अभियान प्रारम्भ करना, अवैध घूसपैठ एवं जेहादी आतंकवाद के खिलाफ व्यापक जनजागरण के माध्यम से राष्ट्र की आन्तरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किये गये जिसकी पुष्टि देश के 10000 संतो की धर्म संसद ने प्रयागराज महाकुम्भ में किया है।
अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ न होना इस देश के 100 करोड़ हिन्दू जनता का अपमान है। इसके लिये कांग्रेस एवं वे तथाकथित राजनीतिक दल जिम्मेदार है जिन्होनें हिन्दुओं को अपमान करना एकमात्र अपना उद्देश्य बना लिया है। जो लोग इससे पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से सम्बन्धित प्रमाण मांगते थे, आज वे मौन क्यो है? स्वंय सन् 1994 में कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने मा0 उच्चतम न्यायालय में एक शपथ पत्र दाखिल किया था कि अगर यह साबित हो गया कि विवादित ढांचा किसी मन्दिर या हिन्दू स्मारक को तोड़ कर बनाया गया था तो सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी और अगर यह साबित नही हो पाया तो मुसलमानों केे भावनाओं का सम्मान होगा। इस शपथ पत्र के आलोक में दिनांक 30 सितम्बर,2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय के लखनऊ खण्डपीठ की एक पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में इस बात को स्पष्ट कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल ही प्राप्त साक्ष्यों एवं प्रमाणों के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि है। कांग्रेस नेतृत्व की यू.पी.ए. सरकार को सन् 1994 के अपने शपथ पत्र का संज्ञान लेना चाहिये तथा हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुये अब संसद में प्रस्ताव पारित कर श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ करनी चाहिये। अगर अब भी हिन्दु भावनाओं के खिलाफ कार्य करने से केन्द्र और प्रदेश सरकार बाज नही आई तो धर्म संसद का अन्तिम संकल्प है भीषण संघर्ष। धर्म संसद एवं देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल ने देश में लगातार बढ़ रही हिन्दू विरोधी गतिविधियों पर चिन्ता व्यक्त की और उसके लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक व्यापक जनजागरण का अभियान अपने हाथो में लिया है। हम व्यापक जनजागरण के माध्यम से हिन्दू एकता का मार्ग प्रशस्त करनें और जरूरत पड़ेगी तो किसी हिन्दू विरोधी गतिविधि का मुॅहतोड़ जवाब भी देगें।
बाबरी ढांचों के विध्वंश को सी.बी.आई. द्वारा राष्ट्रीय अपराध कहने की निन्दा की तथा मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार का स्वागत करते हुये आशा व्यक्त किया कि धर्म संसद और माननीय उच्चतम न्यायालय की फटकार से कांग्रेस नेतृत्व की आखें खुलेंगी।

Wednesday, February 6, 2013

राहुल गांधी बने महादेव और सोनिया लक्ष्मीबाई!

राहुल गाँधी ने कुछ दिन पहले "सत्ता जहर है" वाला बयान दिया था, अब कांग्रेसियों ने उन्हें "नीलकंठ" के रूप में दिखाने वाला पोस्टर लगाया है. क्या मतलब है इसका ? क्या सत्ता का जहर राहुल के गले में अटक गया है, या वो सत्ता का जहर निगल भी नहीं रहे हैं और उगलना भी नहीं चाहते ?
कुछ कांग्रेसी समर्थकों ने कुम्भ में विवादित चित्र लगाए हैं. कुंभ क्षेत्र में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के दो विवादित पोस्टरों ने मामले को और गरम कर दिया| कांग्रेस के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कुंभ क्षेत्र में दो विवादित पोस्टर लगाए हैं| एक पोस्टर पर राहुल गांधी की तुलना नीलकंठ महादेव से की गई है तो दूसरे में सोनिया गांधी को रानी लक्ष्मी बाई के रूप में दर्शाया गया है| दोनों ही पोस्टरों को मेले क्षेत्र में प्रशासन की अनुमति के बिना लगाया गया है| संगम क्षेत्र में प्रवेश करते ही अखाड़ों के प्रवेश द्वार पर इलाहाबाद के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने एक पोस्टर में राहुल गांधी को भगवान शंकर का रूप दे दिया है| इसमें एक तरफ राहुल नज़र आ जायेंगे, दूसरी तरफ भगवान शिव की तस्वीर है| उनके माथे पर तीसरी आंख बनाई गई है | उनके गले के हिस्से को नीले रंग से दर्शाते हुए उनकी तुलना नील कंठ भगवान से की गई है| तस्वीरों के ठीक नीचे लिखा गया है कि सत्ता में जहर है, ठीक है और जो जहर पीता है' वही नीलकंठ होता है'| आगे लिखा है कि "उठा लो हलाहल और शंकर हो जा"| इस होर्डिंग को लगाने वाले कांग्रेस के स्थानीय नेता बाबा अभय अवस्थी का कहना है कि जिस तरह से बिना मतलब के पिछले तीन दिन से बीजेपी के लोग धर्म क्षेत्र को राजनैतिक अखाड़े में तब्दील कर रहे हैं उसी तरह हम भी चाहते हैं कि राहुल गांधी जन कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करें और यहां कुंभ क्षेत्र में आएं| और इसी तरह से कुछ महिना पहले रामलीला मैदान में भी कांग्रेसी लोगों ने सम्मेलन किया था वहाँ पर भी रामलीला मैदान दिल्ली की मस्जिद वाली साईड में सोनिया गाँधी को माँ भवानी के रूप मे दिखाया गया था याद है की आप लोग भूल गए हिन्दू लोगों को भूलने की बिमारी ज्यादा होती है. रामलीला मैदान की वो फोटो सबसे पहले संजय सिंह जी व महावीर प्रसाद जी सोशल मिडिया राष्ट्रवादीयों ने अपने कैमरे में खिंची थी वही पर इलाहाबाद में ये कांग्रेसी लोगों ने महादेव शंकर को अपमानित किया है. वाह रे कांग्रेसियोंए बहुत ही कमाल के लोग होए एक तरफ तो हिन्दुओ को आंतकवादी कहते होए दूसरी तरफ हिन्दुओ के देवी ओर देवता की जरिये वोट मागते होए रानी लक्ष्मी बाई का भी नाम बदनाम करते हो, जिसने हिन्दुओ के लिये आखरी दम तक लड़ा था. तुम कांग्रेस ओर तुम्हारी मां ओर तुम्हारा ये भाई कब तक हिन्दुओ को वेवकूफ बनाओगे ये तो अब आने वाला समय ही बतायेगए दोगले लोग है ये मेरे भइयों अब भी अगर आप लोगो की आंख नही खुली तो समझ लो हिन्दुस्तान को लुटा कर ही रहेगा. ये तीनमूर्ति हमे कही का भी नही छोड़ेगेए अब भी समझ जाओ. अभी भी वक्त हैए सब कुछ तो लुट चुका है. जो थोड़ा बहुत बाकी है इसे तो मत लूटने दो, मेरी आप लोगो से निवेदन है की किसी तरह से हिन्दुस्तान को पाकिस्तान जैसा हाल ना होने दो. ये मामला इस बार इलेक्ट्रिक मीडिया ने अभी तक नहीं दिखाया है ये लोग आज भी हमारे सर पर बैठकर हिन्दूऔ के जबरदस्ती देवता बनकर बैठे है कल ये चुनाव में होंगे और हमने या आपके परिवार वालों ने पिछले वर्षों की तरह गलती से भी वोट दे दिया तो आप लोगों अपने घर में देवताऔ की नहीं इन इटली वाले खानदान की पूजा करनी होगी.

नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है

 नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम पद के लिए अपनी हवा बनाने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन हवा निकालने में माहिर कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति तैयार कर ली है वो है जेडीयू को बीजेपी ओर एनडीए से अलग करना । वह सीधे तो मोदी पर प्रहार नहीं करेगी, लेकिन एनडीए के साथियों की सांसों में जहर घोलकर बीजेपी को बहुत परेशान जरूर करेगी। कांग्रेस की कोशिश है कि कैसे भी करके एनडीए के सहयोगियों को अपने हितों की याद दिलाकर माहौल की रफ्तार को रोका जाए। बीजेपी के साथी दलों के सरोकारों की समझ को बढ़ाया जाए। एनडीए इसी से कमजोर होगा। लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल बाकी है। जो लोग इस आस में बैठे हैं कि चुनाव वक्त से पहले होंगे, अपनी नजर में वे कोई बहुत समझदार सोच के स्वामी नहीं हैं। कांग्रेस इतनी बेवकूफ नहीं हैं, जो रात ढलने से पहले ही अपनी चलती दुकान बंद करके घर बैठ जाए। ऐसा कोई नहीं करता। जो करता है, वो भरता है। अपने अटलजी को ही देख लीजिए, इंडिया शाइनिंग की चकाचौंध में आकर फील गुड के फैक्टर में वक्त से कुछ पहले ही चुनाव मैदान में उतर गए थे। लेकिन मैदान से सीधे घर गए, जो आज तक घर से बाहर नहीं निकले। लेकिन फिर भी बीजेपी में इस बार भी वक्त से बहुत पहले से ही हलचल बहुत तेज है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वक्त से बहुत पहले दावेदारी के केंद्र में आने से कई बार जो सहज नुकसान संभव है, उसकी भरपाई लगभग असंभव हुआ करती है। पर, मोदी तो असंभव में भी संभव की तलाश के लिए माहिर माने जाते हैं। शायद यही कारण है कि वे अभी से तैयार हैं राजनीति में हमेशा कुछ भी बहुत तय नहीं होता। जेडीयू को वैसे भी मोदी के नाम पर शुरू से ही एतराज रहा है। वैसे, नीतिश कुमार यह जानते हैं कि वे अभी इतने बड़े नहीं हुए हैं कि देश उनको पीएम के मामले में गंभीरता से ले। लेकिन मोदी विरोध के जरिए अपने बिहार के अल्पसंख्यकों के दिलों को जीतकर फिर बिहार पर राज करने ने की उनकी मंशा हैं। उधर, एनडीए के संयोजक शरद यादव ने सिर्फ इतना सा, कि – गठबंधन बहुत मुश्किल से बनते हैं, कांग्रेस इस माहौल के बढ़ने का मौका देख रही है अब बीजेपी को चाहिये की वो या तो नितीश को मनाये या फिर जल्दी ही जेडीयू से रिश्ता तोड़े, बिना अपनी लाइन सॉफ किये बीजेपी को कोई फायदा नही होगा.

विश्व गुरू रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन के गर्त में....

कभी विश्व गुरू व सोने की चिडिया रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन के गर्त में कभी भारत विश्व में अपने ज्ञान विज्ञान के रूप में जगतगुरू के रूप में जाना जाता था। यहां विकास व वैभव का सागर अंगडाई लेता था इसी कारण संसार भर में इसे सोने की चिडिया कहा जाता था। इसकी प्रसिद्ध के कारण ही चंगैज, गजनवी, मुगल, सिकंदर व यूरोपिय लुटेरे भारत पर काबिज होने के लिए बारबार आक्रमण करते थे। 1947 में विदेशी लुटेरों से भले ही भारत को आजादी मिल गयी हो परन्तु आजाद भारत की नींव को पश्चिमी संस्कृति के मोहपाश में बंधे भारतीय हुक्मरानों ने प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति का अनुशरण करने के बजाय हिंसा, लूटमार व शोषण की बुनिया पर खड़ी पश्चिमी सभ्यता की तरह रखने का आत्मघाती भूल की। उसी की वजह है कि आज एक तरफ हमारे आजादी के समय ही अपने विकास का सफर करने वाला चीन, जापान, इस्राइल आदि देश विश्व में अपना परचम फेहरा रहे है। वहीं भारत आजादी के 65 साल बाद भी अपनी भाषा को ही नहीं अपितु अपने नाम के लिए भी तरस रहा है। भारतीय पतन की इतनी शर्मनाक स्थिति है कि उसी फिरंगी तंत्र व भाषा को भी आजादी के बाद बेशर्मी से ढोते हुए खुद को विश्व का सबसे बडी लोकशाही का तकमा दे रहा है। 

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कितनी शर्मनाक है कि यहां देश की राजधानी के नामी चिकित्सालय सफदरगंज में ही विगत पांच साल में 8 हजार से अधिक बच्चे इस अस्पताल में इस अस्पताल की बदहाली के कारण दम तोड़ चूके है। देश के दूरस्थ क्षेत्रों में तो पहले अस्पताल ही नहीं है तो वे डाक्टर व दवा के बगैर खुद ही बीमार पडे है। भारत में शिक्षा की स्थिति इस बात से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कभी विश्व में ज्ञान विज्ञान के कारण जगतगुरू की पदवी पर सम्मानित भारत के आज स्थिति इतनी शर्मनाक है कि पूरे विश्व के प्रथम मानक रखने वाली 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम तक नहीं है। देश में जनप्रतिनिधी व नौकरशाह इतने भ्रष्ट हो गये हैं कि देश के अधिकांश दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले पर एक दूसरे को संरक्षण देने के कारण न्याय की देहरी में ही दम तोड़ रहे है। देश की सरकारें इतनी पतित हो गयी है कि देश के संसाधनों को लूट कर भ्रष्ट लोगों ने विकास के पैसे को विदेशों में छुपा रखा हे। देश में धर्म के नाम पर संकीर्णता व कटरपंथ ही सर उठा कर देश की एकता व अखण्डता को तबाह करने में तुले हुए है। यही नहीं देश के हुक्मरान भारतीय हितों के बजाय अमेरिका व अपने निहित स्वार्थो के लिए देश के हितों को दाव पर लगा रहे है। देश की संसद, कारगिल, मुम्बई सहित पूरे देश को आतंकी हमलों से लहूलुहान करने वाले पाक व उसके संरक्षक अमेरिका को मुहतोड़ जवाब देने के बजाय देश के हुक्मरान नपुंसकों की तरह दोस्ती की पींगे बढ़ा कर विश्व में भारत की जगहंसाई करा रहे हैं। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि देश की सीमा की सुरक्षा में लगे सैनिकों का सरकाटने की धृष्टता पाकिस्तान करता है इसके बाबजूद भी भारतीय हुक्मरानों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है।  

देश में कानून व्यवस्था की हालत कितनी अराजक है इसका नजारा 16 दिसम्बर को देश की राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार से जग जाहिर हो गयी। इसके दोषियों को सजा देने में देश के हुक्मरान कितने अनमने रहे यह भी स्पष्ट हो गया है। इस काण्ड के बाबजूद दिल्ली में 5 फरवरी को लाजपत नगर के समीप जलविहार में एक 24 वर्षीय युवती से बलात्कार की कोशिश करने में नकाम रहने पर अपराधी ने उसके गले में लोहे की राड ही डाल कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। यही नहीं 26 जनवरी की परेड़ में सम्मलित होने आये पूर्वोत्तर की छात्राओं से जिस प्रकार से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से गुवाहाटी जाते समय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जवानों पर छेड़छाड़ किया। इन 9 आरोपी जवानों को मुगलसराय स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। यही नहीं केवल आम युवक या सामान्य लोग ही इस मामले में जिम्मेदार है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानी आईएएस शशिभूषण जो उप्र सरकार के विशेष सचिव (तकनीकी शिक्षा) पर पर आसीन थे उन्होंने अक्टूबर 2012 में गाजियाबाद से लखनऊ समय लखनऊ मेल में सफर कर रही एक युवती से साथ दुष्कर्म की कोशिश जिसको रेल में सुरक्षा बल ने पकडा उसके बाद उसे े जेल भेजा गया। यही नहीं नवम्बर 2012 में भिवानी से कानपुर जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में कानपुर के सेशन जज की पुत्री अपने पति के साथ कानपुर जा रही थी। उसके साथ शिकोहाबाद व मैनपुरी के बीच फतेहगढ़ के मेजर एसडी सिंह मेडिकल काजेल के प्रोफेसर डॉ. जय किशन ने छेड़छाड़ करने के आरोप में फर्रूखाबाद जीआपी थाने में मामला दर्ज किया गया। ऐसे मामले में नेता से लेकर बडे अधिकारी लिप्त होने की खबरे आये दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति जगजाहिर हो जाती है।  

देश की सत्ता में आसीन मनमोहनी सरकार के कुशासन से आम जनता की जीना हराम कर रखा है। सत्तासीन कांग्रेस पाटी के नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी ,जनता को सुशासन देने व ऐसे मनमोहनी कुशासकों को हटाने के बजाय घडियाली आंसू बहा कर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे है। मुख्य विपक्षी दल में सरकार के कुशासन के खिलाफ प्रचण्ड संघर्ष करने के बजाय कौन बनेगा प्रधानमंत्री बनने के दीवास्वप्न में खो कर अपने दल व देश की जनता की आशाओं पर बज्रपात कर रहे हैं। परन्तु न तो देश के हुक्मरानों व नहीं देश की जनता में जरा सी भी चू तक हो। विश्व बैंक की एक आर्थिक विकास रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन विश्व की सबसे तेजगति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गयी है। सन् 2012 में चीन की आर्थिक विकास दर 7.8 रही है। वहीं भारत की 4.5 फीसद रही । एशिया के इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, थाईलैंड और वियतनाम में आर्थिक विकास की रफ्तार दर 5.7 रही. इन देशों से ही नहीं अपितु भारत की विकास की दर से भारत के पडोसी देश बांग्लादेश में विकास दर से भी कम रही।आईएमएफ के रिसर्च विंग के प्रमुख थॉमस हेलबलिंग के अनुसार भारत में गत वर्ष विदेशी निवेश कम हुआ। उन्होंने आशंका जताई है कि अगर भारत में विदेशी निवेश नहीं बढ़ा तो विकास दर और धीमी हो सकती है। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि भारत के बडे भू भाग पर चीन ने ही नहीं अपितु पाक ने भी दशकों से कब्जा करा हुआ है। परन्तु क्या मजाल की देश के हुक्मरान इस दिशा में एक कदम भी ठोस उठा रहे है। देश में एक तरफ कुशासन से त्रस्त है। वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों ने सवा सो से अधिक जनपदों में अपनी पेंठ बना कर देश जहां सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस्लामी आतंकियों का जाल बंगलादेशी घुसपेटियों व सत्तालोलुपु खुदगर्ज भ्रष्टनेताओं के कारण पूरे भारत को अपने शिकंजे में जकडते जा रहा है। परन्तु क्या मजाल की अमेरिका, चीन व पाक के बाहरी दुश्मनों के दशकों से भारत को तबाह करने के निरंतर षडयंत्रों के बाबजूद तथा नक्सली व आतंकी खतरों से आकंण्ठ घिरे भारत की ईमानदारी से सुध लेने की इस देश के हुक्मरानों, राजनेताओं व प्रबुद्ध जनों को एक पल की भी फुर्सत तक नहीं है।