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चाणक्य ने कहा है "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।"

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Thursday, February 21, 2013

Hyderabad Blasts LIVE : हैदराबाद में सीरियल ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ, 22 मरे, 70 घायल

हैदराबाद : हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में एक के बाद एक 5 जबरतदस्त बम धमाके होने खबर है। इन पांचों बम धमाकों में 22 लोगों के मरने तथा 117 से ज्यादा लोगों के घायल होने की संभावना जताई जा रही है।

वहीं, अभी-अभी खुफिया सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इन बम धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ है। घायलों और मृतकों को नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया है।

यह धमाके हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में होने की खबर है। जहां बम धमाके हुए हैं, बताया जा रहा है कि वे इलाके काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके हैं। दिलसुख नगर में हैदराबाद का सबसे बड़ा फल बाजार है और यह काफी भीड़ वाला इलाका है।

पहला धमाका दिलसुख नगर के थियेटर के पास हुआ जबकि दूसरा धमाका एक रेस्तरां के बाहर हुआ है। जहां बम धमाके हुए हैं, बताया जा रहा है कि वे इलाके काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके हैं। इस इलाके की पहचान पुराने हैदराबाद की रही है जहां भीड़ भाड़ वाले बाजार और पास में ही रिहायसी इलाके भी हैं।

सूत्रों के मुताबिक इससे पहले 2007 में जो हैदराबाद में बम धमाके हुए थे, वे इसी इलाके में हुए थे जब लोग सिनेमाघर में फिल्म देख रहे थे। तब 19 बम मिले थे। बताया जा रहा है कि एक बम सिनेमाहॉल के बाहर खड़े एक मोटरसाइकिल में ब्लास्ट हुआ। दहशतगर्दों ने अपनी मानसिकता का सबूत देते हुए एक साजिश के तहत ये धमाका किया। वहीं, मुंबई से एटीएस और एनआईए की टीमें हैदराबाद के लिए रवाना हो चुकी है। धमाकों की वजहों का पता नहीं चल पाया है। धमाकों की वजह से इलाके में दहशत का माहौल है। संवेदनशील इलाका होने की वजह से चारों तरफ सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

वहीं दूसरी तरफ पुलिस को इन बम धमाकों की कोई खबर नहीं है। आंध्रप्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर के एडीजी के मुताबिक अभी तक उनके पास बम धमाकों की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इन बम धमाकों के बारे में कुछ नहीं कह सकते कि इन धमाकों के पीछ किसका हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें इन धमाकों के बारे में कोई खबर मिलती है वो मीडिया के सामने लेकर आएंगे।
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Friday, February 8, 2013

Blog : संसद हमला अफजल गुरु और जनाक्रोश...

दामिनी प्रकरण में उमडे जनाक्रोश की धमक से सहमें हुक्मरानों ने दी संसद हमला काण्ड के गुनाहगार अफजल गुरू को फांसी 13 दिसम्बर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी आतंकी अफजल को दिल्ली के तिहाड़ जेल में आज 9 फरवरी तडके 5बजे कर 25 मिनट पर फांसी दे दी गयी। तिहाड की जेल नम्बर 3 में दी गयी देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर पाक द्वारा कराये गये आतंकी हमले के इस दोषी अफजल गुरू को फांसी पर न लटकाये जाने से पूरे देश की जनता देश के हुक्मरानों को वर्षों से धिक्कार रहे थे । जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 में इस आतंकी को फांसी की सजा देने के बाबजूद तमाम प्रक्रिया से गुजरने के बाद 20 अक्टूबर 2006 में इसकी फांसी की सजा पर अंतिम मुहर लग गयी। परन्तु तब से इसको फांसी देने में राष्टपति के समक्ष दया की याचिका के नाम पर लटकाया गया। देश ही नहीं पूरा विश्व संसद पर हमले के फांसी की सजा पाये आतंकी अफजल गुरू को भारतीय हुक्मरानों द्वारा फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता पर हैरान था वहीं इस प्रकरण से जहां जग हंसाई हो रही थी वहीं देश के नागरिकों का आक्रोश निरंतर बढ़ रहा था।

इसके साथ देश के सुरक्षा बलों का मनोबल पर विपरित प्रभाव पढ़ने व आतंकियों को हौसले बढ़ने के बाबजूद देश की सरकार नपुंसकों की तरह मूक बेठी हुई थी। इसी बीच दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए एक छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार के शिकार प्रकरण पर नपुंसक सरकार के खिलाफ 22व 23 दिसम्बर को इंडिया गेट से विजय चैक यानी राष्टपति के दर तक उमडे अभूतपूर्व जनाक्रोश से देश के हुक्मरान न केवल भौचंक्के रह गये अपितु बेहद सहम गये। देश के हुक्मरानों ने जो जनाक्रोश मिश्र, लीबिया व सीरिया सहित संसार के देशों में देखा उन्हें राष्ट्रपति के दर पर आजादी के बाद पहली बार उमडे इस प्रकार के जनाक्रोश ने पूरी तरह हिला कर रख दिया। इसी जनाक्रोश से भयभीत जनभावनाओं को रौंदने वाली व अफजल गुरू जैसे आतंकी को सजा देने में नपुंसक बनी हुई मनमोहनी सरकार ने इसी शुक्रवार 8 फरवरी को गृहमंत्रालय के द्वारा फांसी देने का फेसला लेने के लिए मजबूर हुई और 9 फरवरी की प्रातः इस आतंकी को फांसी की सजा दे दी गयी। इस आतंकी को तिहाड़ जेल में ही दफनाने का निर्णय लिया गया। इस प्रकार दामिनी का बलिदान व जनाक्रोश दोनों ने देश पर लगे इस आतंकी के कलंक से मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि इसके पहले राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की दया याचिका को 3 फरवरी को खारिज कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस आतंकी को फांसी की सजा देने की अपील को ठुकराने के बाद देश की सरकारों ने कई वर्षो तक इसे फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से न केवल देश के नागरिक आक्रोशित थे अपितु इस हमले में संसद की रक्षा व आतंकियों को मार गिराने में अपनी शहादत देने वाले अमर वीर जवानों के परिजनों ने 13 दिसम्बर 2006 को सरकार को अपने सम्मान भी सामुहिक रूप से वापस कर दिये थे। 13 दिसम्बर 2001 को यह आतंकी हमला उस समय हुआ जब संसद का सत्र चल रहा था उस दिन पाकिस्तान के आतंकी लक्शरे ताइबा व जैश मोहम्मद के 5 आतंकियों ने गृहमंत्रालय का स्टीकर लगी कार से दाखिल हो कर अंधाधुंध गोलिया चला कर संसद में घुसने की कोशिश की इसको जांबाज सुरक्षा बलों ने अपनी जान की बाजी लगा कर विफल करके पांचों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। उस समय संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी ही नहीं अपितु उप राष्ट्रपति भी संसद में थे। इस हमले में पांचों आतंकियों सहित 12 लोग मारे गये और 18 घायल हो गये। शहीद होने वालों में 5 पुलिस के जवान, एक संसद का सुरक्षा गार्ड व एक माली था। देश में अफजल गुरू के अलावा 5 आतंकी और भी है जिनको फांसी पर लटकाये जाने का इंतजार देश कर रहा है। इनमें राजीव गांधी गांधी के हत्यारों मुरुगन, संथान और पेरारिवलन, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने वाले बलवंत सिंह राजोआना तथा मनिंदर जीत सिंह बिट्टा को निशाना बनाकर बम धमाका करने वाले देविंदर पाल भुल्लर, शामिल हैं। आतंकी अफजल गुरू कश्मीर के बारामूला जनपद का मूल निवासी है। वह एमबीबीएस का प्रथम वर्ष की परीक्षा पास करने के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए तैयारी भी कर रहा था। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का आतंकी बन गया। बीच में उसने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्म सम्र्पण भी कर दिया था। वह पाक भी आतंकी टे�र्निग लेने गया। उसके बाद वह अपने मूल स्थान सपोर में अनन्तनाग के आतंकी तारिक के सम्पर्क में आने से वह पुन्न आतंकी गतिविधियों मे ऐसा सम्मलित हुआ कि वह दिल्ली में संसद व दूतावास पर हमला करने के लिए आत्मघाती आतंकी बन गया। उसको फांसी की सजा देने का विरोध न केवल आतंकी संगठन कर रहे थे अपितु जम्मू कश्मीर की सरकार भी उसकी फांसी की सजा माफ करने के लिए केन्द्र सरकार पर निरंतर दवाब बना रही थी। 

इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है



इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ ही जाती है | कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती है | इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य विशेषाधिकार दिए गए हैं | यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती हैं | लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे 72 हूरियों से भरे 'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के अधिकारी हो जाते हैं | अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा | इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस प्रकार है

  • हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है | उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं | वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है |

  • उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है |

  • प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है | उसके उरोज उन्नत गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं | हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं |

  • हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है |

  • हूर का मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है | उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है |

  • प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी | जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी |
अब भाई अब जब हूर इतनी खूब होगीं तो कोई क्यो न अल्लाह के लिये मरने को तैयार होगा, इन आतंकियो का यही मकसद होता है कि घरती पर उनके विलास के लिये अल्लाह द्वारा दिया गया मसौदा तो तैयार ही है और जन्नत में भी हूरे उनका इन्जार कर रही है | सोने पर सुहागा हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) करती है कि ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर  की ताकत दिया जायेगा| भारत और पाकिस्तान मे 90 % के लगभग मुस्लिम हिन्दू धर्म परिवर्तन से हुये है, इतिहास गवाह है की ओरंगजेब ने कितने मुस्लिम बनाये. जो कायर थे उन्होने अपना धर्म बदला और जो वीर थे वो लड़े, शहीद हुये. पर झुके नही. फिर एक देश अलग हुआ, पर उसमे तो बहुतायत कायरो की है. भला वो कैसे हमसे युद्ध जीत सकता है, इतिहास इस चीज का भी गवाह है की आज तक हमसे पाकिस्तान किसी भी यद्ध मे नही जीत सका, जबकि हमने उसका भूगोल ही बदल दिया. तभी वो आतंकवादियो को भेजते है, बेगुनाह लोगो पर हमला करते है, अरे हिम्मत है तो सामने आकर लड़ो. हम शान्ती के दूत है, लेकिन कोई हमारे स्वाभिमान को चोट पहुँचायेगा तो हम चुप नही रहेंगे, फिर कहेंगे की अंतिम एक चुनौती दे दो सीमा पर पड़ोसी को गीदड़ कायरता ना समझे सिंहो की ख़ामोशी को, तीर अगर हम तनी कमानों वाले अपने छोड़ेंगे जैसे ढाका तोड़ दिया लौहार-कराची तोड़ेंगे, हमको अपने खट्टे-मीठे बोल बदलना आता है हमको अब भी दुनिया का भूगोल बदलना आता है.

Wednesday, February 6, 2013

दिल्ली: इस बार विदेशी महिला हुई दुष्कर्म की शिकार

बीती रात एक 23 साल की विदेशी महिला ने अपने भारतीय दोस्त पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। इस सिलसिले में हौज़ ख़ास थाने में मामला भी दर्ज किया गया है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी का नाम तारिक शेख़ है। 28 साल का तारिक एक मैनेजमेंट स्टूडेंट हैं और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की के देश की एंबेसी को भी घटना की सूचना दे दी गई है। कहा जा रहा है कि पीड़ित गुड़गांव की एक कंपनी में बतौर ट्रेनी काम करती है।

विदेशी लडकी से हुए इस काण्ड के बलात्कारी को भले ही पुलिस ने दबोच लिया है परन्तु भारत की छवि पूरे विश्व में 16 दिसम्बर को देश की राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार से दागदार हुई थी, अब इसके दो माह अंदर निरंतर हो रहे बलात्कार की घटनाओं के बाद विदेशी लडकी के साथ हुए बलात्कार की घटना ने पूरे विश्व के लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि भारत की सरकार आखिर कर क्या रही है। क्यों सरकार कडे से कडे कदम उठा कर इस प्रवृति को जमीदोज कर रही है। कई देशों से अपने भारत जाने वाले नागरिकों को यहां पर सावधानी बरतने की हिदायत तक जारी कर दी है। दामिनी प्रकरण से जो जनाक्रोश पूरे देश में उमडा था उसके बाद भी इसके दोषियों को सजा देने में देश के हुक्मरान कितने अनमने ढंग से काम कर रहे है। कभी अपराधी को उम्र की ढाल तो कभी मानवाधिकार वाली ढाल का प्रयोग करके देश की जनता का आक्रोश बढा रहे है। अगर यहां कानून व्यवस्था कडी होती तो 6 फरवरी को रेप के लिए कुख्यात हो चूके हौजखास इलाके में 23 साल की चीन की लड़की के साथ पार्टी ऑर्गेनाइजर तारिक शेख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता व नहीं दिल्ली में 4 फरवरी को लाजपत नगर के समीप जलविहार में एक 24 वर्षीय युवती से बलात्कार की कोशिश करने में नकाम रहने पर अपराधी ने उसके गले में लोहे की राड ही डाल कर गंभीर रूप से घायल करने की हिम्मत ही जुटाता। 3 फरवरी को उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में 20 साल की एक युवती को उसके मकान मालिक के बेटे व उसके दो साथियों ने धोखे से नशीला पदार्थ खिलाकर तीन युवकों द्वारा गैंग रेप किया। यही नहीं 26 जनवरी की परेड़ में सम्मलित होने आये पूर्वोत्तर की छात्राओं से जिस प्रकार से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से गुवाहाटी जाते समय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जवानों पर छेड़छाड़ किया। इन 9 आरोपी जवानों को मुगलसराय स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। यही नहीं केवल आम युवक या सामान्य लोग ही इस मामले में जिम्मेदार है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानी आईएएस शशिभूषण जो उप्र सरकार के विशेष सचिव (तकनीकी शिक्षा) पर पर आसीन थे उन्होंने अक्टूबर 2012 में गाजियाबाद से लखनऊ समय लखनऊ मेल में सफर कर रही एक युवती से साथ दुष्कर्म की कोशिश जिसको रेल में सुरक्षा बल ने पकडा उसके बाद उसे जेल भेजा गया।