Thursday, February 14, 2013

केंद्र सरकार गोमांस खाने को बढ़ावा दे रही

आयरन की कमी के लिए गाय का मीट खाना चाहिए, ये कथन छापने वाली केंद्र सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्रालय की किताब 'पोषण' विवादों में घिर गई है। भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने वोट बैंक तुष्‍टीकरण के लिए आयरन की कमी पूरी करने के नाम पर गोमांस खाने का प्रचलन बढ़ा कर घोर पाप किया है। पार्टी इस मुद्दे को संसद में भी उठाएगी। मेरठ में बुधवार को भाजपाइयों ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कार्यालय पर जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही गोमांस के बारे में ऐसा लिखा गया है।
जो सरकार गौ मांस खाने की बात करे उससे गौरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है. जी हाँ कांग्रेस मुस्लिम वोट को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है. केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक एवं राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में शरीर में ऑक्सीजन संचरण और खून बनाने के लिए गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। यह सलाह बाकायदा बुकलेट वितरित करके दी जा रही है। मवाना कस्बे में ये बुकलेट सामने आए हैं।
यह किताब हिन्दुओं को भड़काने वाली और उनकी भावनावों से खिलवाड़ है। मुस्लिमों के खिलाफ कुछ भी छपते ही या फिल्म के एक डायलाग पे ही मरने मारने पे उतारू हो जाते है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय कोई मुस्लिम मंत्रालय नहीं बल्कि उसमें सिख/पारसी और दूसरे धर्म भी शमिल है। हिन्दू धर्म मे गोमांस (हराम) है फिर क्यो हमारी भावना को आहत किया जाता है? हिन्दू गाय को लेकर ही पिछले 1300 साल से मुसलमानो से मानसिक तौर से कभी नहीं जुड़ा और इस कौम को अजनबी ही आज तक माना जाता रहा है। आयरन बढने के लिय गाय खाई जाये यह कही नहीं लिखा है, आयरन बढ़ाने के और भी उपाय है। पर इस पुस्तक का उद्देश सिर्फ हिन्दुवों को भड़काने और नीचा दिखाने के लिय ही किया या है। हिन्दू में मांसाहार वर्जित नहीं है पर हिन्दू स्मृतिकारों ने साफ लिखा गकि (जिस पशु से श्रम (मेहनत) लिया गया हो उसका वध निषेध (हराम) है। हम अहसान फरामोश नहीं है, इसलिय सभी घरेलू प्राणी जिससे श्रम (लेबर) के रूप में लिया गया हो उशका वध नहीं सकता। इस प्रकार गाय ही नहीं बल्कि ऊंट, गधा, घोडा, भैंस बैल सब हराम हो गए। दूसरे जीव स्म्रतिकारों के अनुसार जिस जानवर के हाथ मे पाँच नाखून (पंच नखा वर्जित) है जैसे भालू, बंदर, गोह, कूत्ता, स्वय इंसान, इन सब का मांसाहार वर्जित (हराम) है। इस्लाम मे सुवर (पिग) को छोड़ कर सब को हलाल (जायज़) कर दिया यानि आदमी को भी हलाल है और उसका मांस भी उचित है संक्षेप मे हिन्दू धर्म मे जिस पशु से श्रम (लेबर) लिया हो और पंच नखा (पाँच नाखून वाला जीव) वर्जित है। मुसलमानो मे गाय का क़तल के ऊपर एक पूरा सूरा है। सूरा-बकरा, अरबी मे बकरा का मतलब गाय ही होता है। यहूदी लोग सुवर, ऊंट, खरगोस का मांश वर्जित पर अरबों मे ऊंट का मांस प्रिय था इसलिय अपनी पसंद कि हर चीज़ हलाल (जायज) हो गयी और नापसंद कि चीज़ हराम (नाजायज) हो गयी और समर्थन मे पप्पट अल्लाह कि मोहर लगवा दी। इस पुस्तक को तत्काल प्रतिबंधित कि जाए और दोषी को जेल भेजा जाए।

2 comments:

  1. क्या ये मुद्दा सिर्फ भाजपा का ही है ? क्या देश में भाजपा से अलग कोई हिन्दू नही है ? अगर है तो फिर क्यों सभी मीडिया के दलाल सबसे पहले ये ही बात लिखते है की भाजपा को घर बैठे ही मुद्दा मिल गया है। सालो कांग्रेसी दलालों सुधर जाओ।

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  2. अगर यही सलाह मुसलमानो को सुअर खाने की दी होती तो इस्लाम खतरे में आ जाता. कॉंग्रेस का वोट बैंक खतरे में पड जाता. सोनिया से लेकर मनमोहन तक सफाई देने लगते. अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों को नौकरी से हत धोना पड़ता. सारे सेक्युलर एक सात चिल्लाने लगते कि मुसलमानो पर जुल्म हो गया. हफ़ीज साईड कहता कि हिन्दुस्तान में मुसलमान खरते में हैं. शाहरुख फिर से टाइम्स को इंटरव्यू देता कि मुसलमानो पर जुल्म हो रहा है. में गाय खाना चाहता हूँ और मुझे सूअर खिलाया जा रहा है.

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