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चाणक्य ने कहा है "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।"

Tuesday, August 13, 2013

चंद रुपए के लिए लाशों संग शर्मनाक सलूक, देखें पुलिस का बेशर्म चेहरा!

शव जिसे हिन्दू धर्म में शिव की संज्ञा दी गयी, इस्लाम में पवित्र माना गया है। वर्दी पहन कर कानून का पालन करने और करवाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने की कसम खाने वाले पुलिस कर्मी अब इतने बेशर्म हो गए है कि लाशो के दाह संस्कार का भी रुपया हजम कर जा रहे है।

उत्तर प्रदेश के पुलिस का एक और बेशर्म चेहरा उस समय सामने आया जब एक लावारिस लाश को ठिकाने लगाने के लिए बड़ी ही बेहरमी से पत्थर बांधकर गंगा में डूबो दिया गया। पुलिस वालों ने सबसे पहले इस लावारिस लाश को बेहरहमी से कपड़ों में बांध लिया था। रिक्शे वाले की मदद से लाश को गंगा घाट के किनारे तक लाया गया।

मामला कटरा कोतवाली थाने का है, जहां मिली एक लावारिश लाश को पुलिस कर्मियों ने दाह संस्कार के बजाय गंगा नदी में पत्थर बांधकर बहा दिया। इसके लिए मात्र खर्च हुए पचास रुपए। लाश को ठिकाने लगाने वाले सरजू ने बताया अब तक वो लगभग दस से अधिक लाशों को इसी तरह से ठिकाने लगा चुका है। पुलिस वालों को सत्ताईस सौ रुपए दाह संस्कार के लिए मिलता है। पर पुलिस कहती है तुम ले जाकर फेंको जो होगा समझ लेंगे। इस काम में पुलिसकर्मी भी मदद कर देते हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस के दरिंदगी और गुंडई के तमाम मामले सामने आते रहते हैं। पर अब उत्तर प्रदेश की पुलिस बेशर्म भी हो गयी है। इतनी बेशर्म की लावारिस लाश के दाह संस्कार के लिए मिलने वाली रकम भी हजम कर जा रही है। लाश को पत्थर से बांध कर गंगा नदी में बहा दिया जा रहा है। पुलिस कर्मी से जब सवाल किया गया तो वो भागने लगा और बोला केवल ड्यूटी कर रहा था।

किश्तवाड़ में हिंसा ?

ये हकीकत कोई मिडिया नही दिखायेगी क्योकि हिन्दू जो मर रहा हैं! अभी तक जिसे एक दुर्घटना के रूप में चित्रित किया जा रहा है वो और कुछ नहीं बल्कि किश्तवाड़ के हिन्दुओ पर एक सुनियोजित हमला है. जिसमे हिन्दुओ को पीटा गया और उन पर बिना किसी वजह से बेबुनियाद आरोप तक लगाये गए! भारतीय कुत्तों, वापस जाओ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए अचानक ही पूरी भीड़ कुलदीप चौक की तरफ भागी और पुरे बाजार में आग लगाना शुरू कर दिया और वहां रह रहे स्थानीय वासियों पर पत्थर भी फेके गए एवं कुछ नवयुको पर AK47 से भी गोलिया चलायी गयी! CRPF की एक पूरी कंपनी इस चौक पर मौजूद थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया क्योकि उपर से दस घंटे तक उत्पात मचाने की पूरी छूट का ईद का तोहफा था और CRPF के जवान सिर्फ मूक दर्शक बनकर देखते रहे। और जहा तक JKP और JKAP / IRP का सवाल है तो वे खुले तौर पर मुस्लिम भीड़ का समर्थन कर रहे थे! DYSP फारूक कैसर एसडीपीओ किश्तवाड़, डी वाई. सपा मुश्ताक अहमद, एसआई नईम माटो और उनके PSOs माट्टा द्वारा खुलेआम कलदीप चौक पर हिंदूओ के उपर AK47 और पिस्तौल द्वारा गोलियां चलाईं जो उनके गांवों में मुसलमानों के प्रवेश को रोकने के लिए कोशिश कर रहे थे. डिप्टी SP फारुक केसर से कुछ 10 फिट की दूरी पर खड़े एक आतंकवादी द्वारा भी गोलिया चल जा रही थी और बजाये उससे हथियार छिनने के उन्होंने खुद माट्टा ने हिन्दुओ पर गोलिया चलना शुरू कर दिया! गृह राज्य मंत्री सज्जाद अहमद किचलू द्वारा खुले तौर पर मुस्लिमो को समर्थन किया गया एवं सभी पुलिस की गतिविधियों को सीमित कर हमलावर भीड़ को उकसाया. किश्तवाड़ - डोडा के डीआईजी रामबन रेंज अशखूर वानी श्री राज्यमंत्री एक परिवीक्षाधीन के रूप में सही किश्तवाड़ में उनकी नियुक्ति से कड़वा संबंध है जिनके साथ पुलिस श्री सुनील गुप्ता की एक सक्षम वरिष्ठ अधीक्षक को प्रतिबंधित करने के कारणवश किश्तवाड़ में बुलाया गया था. भीड़ में मुस्लिमो द्वारा AK47 तक का प्रयोग किया गया! जिससे यह समझने में देर नही लगती कि यह नरसंहार पूर्व प्रायोजित था! सज्जाद अहमद किचलू के खुद के परिवार के सदस्यों द्वारा भी फायरिंग की गयी! सज्जाद अहमद किचलू. उप सपा फारूक कैसर, उप. सपा डार मुश्ताक अहमद और एसआई नईम माटो ने खुले तौर पर हिन्दुओ के घरों और दुकानो और डाक बंगला, शहीदी सड़क और अमर बाजार में अन्य सभी संस्थाओं के रूप में हिंदू संपत्ति को नुकसान पहुचाने में मुस्लिम भीड़ का समर्थन किया! मुख्यमंत्री अमर अब्दुल्ला ने किश्तवाडा में किसी भी मिडिया एवं अन्य दलों के नेताओ के वहां जाने पर प्रतिबन्ध तक लगा दिया हैं !!! सेना सुबह मौका ए वारदात पर पहुंच गयी थी मगर उसे कोई आदेश नही दिया गया जिसके फलस्वरूप किश्तवाड़ में ईद पर हिन्दुओ के खून से होली लिखी गयी और AK47 जैसे खतरनाक हथियारो से दिवाली मनाई गयी! कल नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली को भी वहाँ नही जाने दिया और एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया! किश्तवाड़ को पूरी तरह से जम्मू कश्मीर पुलिस के हवाले किया गया हैं जो मुस्लिम समर्थक और हिन्दू विरोधी हैं! सेना की इसमें कोई मदद नही ली गयी, बस नाम के लिए ईद की शाम को कुछ जगह पर तैनात किया गया !!! यह सच आप किने लोगो को बता पाते हैं, अब यह आप पर निर्भर हैं !!! सभी तथ्य सत्य हैं और जम्मू के उधमपुर से मित्र मनोज अग्रवाल जी ने उपलब्ध करवाए हैं!

Thursday, February 21, 2013

Hyderabad Blasts LIVE : हैदराबाद में सीरियल ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ, 22 मरे, 70 घायल

हैदराबाद : हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में एक के बाद एक 5 जबरतदस्त बम धमाके होने खबर है। इन पांचों बम धमाकों में 22 लोगों के मरने तथा 117 से ज्यादा लोगों के घायल होने की संभावना जताई जा रही है।

वहीं, अभी-अभी खुफिया सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इन बम धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ है। घायलों और मृतकों को नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया है।

यह धमाके हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में होने की खबर है। जहां बम धमाके हुए हैं, बताया जा रहा है कि वे इलाके काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके हैं। दिलसुख नगर में हैदराबाद का सबसे बड़ा फल बाजार है और यह काफी भीड़ वाला इलाका है।

पहला धमाका दिलसुख नगर के थियेटर के पास हुआ जबकि दूसरा धमाका एक रेस्तरां के बाहर हुआ है। जहां बम धमाके हुए हैं, बताया जा रहा है कि वे इलाके काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके हैं। इस इलाके की पहचान पुराने हैदराबाद की रही है जहां भीड़ भाड़ वाले बाजार और पास में ही रिहायसी इलाके भी हैं।

सूत्रों के मुताबिक इससे पहले 2007 में जो हैदराबाद में बम धमाके हुए थे, वे इसी इलाके में हुए थे जब लोग सिनेमाघर में फिल्म देख रहे थे। तब 19 बम मिले थे। बताया जा रहा है कि एक बम सिनेमाहॉल के बाहर खड़े एक मोटरसाइकिल में ब्लास्ट हुआ। दहशतगर्दों ने अपनी मानसिकता का सबूत देते हुए एक साजिश के तहत ये धमाका किया। वहीं, मुंबई से एटीएस और एनआईए की टीमें हैदराबाद के लिए रवाना हो चुकी है। धमाकों की वजहों का पता नहीं चल पाया है। धमाकों की वजह से इलाके में दहशत का माहौल है। संवेदनशील इलाका होने की वजह से चारों तरफ सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

वहीं दूसरी तरफ पुलिस को इन बम धमाकों की कोई खबर नहीं है। आंध्रप्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर के एडीजी के मुताबिक अभी तक उनके पास बम धमाकों की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इन बम धमाकों के बारे में कुछ नहीं कह सकते कि इन धमाकों के पीछ किसका हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें इन धमाकों के बारे में कोई खबर मिलती है वो मीडिया के सामने लेकर आएंगे।
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Wednesday, February 20, 2013

बंगाल में मुस्लिम धार्मिक नेता की हत्या के बाद हिंसा, हिन्दूओं के 200 घर आग के हवाले

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नालीखली गांव में एक धार्मिक नेता की गुंडों द्वारा हत्या के बाद वहां पर हिंसा भड़क गई है। नेता की मौत से गुस्साई भीड़ ने 200 घरों को आग के हवाले कर दिया। हमलावरों ने कई गांवों में लूट-खसोट भी की। इनका आरोप है कि पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया।

चौंकाने वाली बात यह है कि हमलावरों का एक गुट कोलकाता से ट्रक में भरकर आया हुआ था। खुफिया एजेंसियों ने इसकी पुष्टि की है। नालीखली गांव जिले के केनिंग सबडिविजन में पड़ता है। यहां पर स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हिंसा जिले के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है। हालांकि प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए उपाय किए हैं।

नालीखली गांव के एक निवासी के मुताबिक, 60 साल के एक धार्मिक नेता जामतला गांव में किसी समारोह में गए हुए थे। सोमवार रात जब वह मोटरसाइकल पर लौट रहे थे, तभी गुंडों के एक दल ने उन पर गोली चला दी और उनकी मौत हो गई। इस घटना में मोटरसाइकल चालक घायल हो गया। यह घायल शख्स किसी भी तरह एक सुरक्षित जगह पर पहुंचा और अपने संबंधियों व दोस्तों से संपर्क स्थापित किया। इसके बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया और हवा में यह बात तैरने लगी कि धार्मिक नेता की हत्या नालीखली गांव के किसी शख्स ने ही की है। इसके बाद लोग घटनास्थल पर जमा होने लगे। शुरू में पुलिस ने इस समस्या को हलके में लिया और लोगों को हटाने के लिए एक जूनियर ऑफिसर और दो कॉन्स्टेबल को भेजा। देखते-देखते भीड़ उग्र हो गई और हिंसा पर उतारू हो गई। लोगों ने सड़क जाम कर दिया और रेलवे ट्रैक को बाधित कर दिया। फिर क्या था भीड़ ने गांव के 200 घरों को आग के हवाले कर दिया और कई घरों को लूट लिया।

इस बाबत विश्वजीत सरदार कहते हैं, 'हजारों हमलावरों ने सुबह के 10 बजे हमारे घरों पर हमला कर दिया। चौंकानेवाली बात यह है कि पुलिस वहां खड़ा होकर मुंह ताक रही थी।' हमलावरों ने विश्वजीत के दो मंजिले घर को जला दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ज्यादातर हमलावर बाहर के थे। उनके हाथों में बम थे। वे हमारे घरों पर पेट्रोल झिड़क रहे थे और आग लगा दे रहे थे। गांव के संतन अधिकारी का कहना है कि जिन लोगों ने उनका विरोध किया, उनकी हमलावरों ने जमकर पिटाई की। हमलावर 3 घंटे तक लोगों का घर जलाते रहे और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही थी।

नालीखली गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें धार्मिक नेता की मौत के बारे में कोई सुराग मालूम नहीं है। इस बाबत शक्तिपद अधिकारी कहते हैं, 'सुबह की बेला थी, जब पुलिस गांव में आई तो हमें इस बारे में पता चला।'

बाद में स्थिति बिगड़ जाने के बाद जिला प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाई और एसपी और डीआईजी समेत कई अधिकारी गांव में पहुंचे। गांव में सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गई है और जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, सुरक्षाबलों को हटाया नहीं जाएगा। पुलिस का कहना है कि सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि इस घटना में बाहरी लोगों का हाथ है। डीआईजी ने कहा है कि बहुत से दंगाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन पर मर्डर और दंगा फैलाने का केस दर्ज कर लिया गया है।

Tuesday, February 19, 2013

भारत के मदरसों में शिक्षा का स्तर?

भारत के मदरसों में शिक्षा का स्तर?
 निम्न पाठ्यक्रमों से स्पश्ट है कि मुसलमान बच्चों को किस प्रकार की षिक्षा, मदरसों और मख्तबों में दी जाती है। उनके मस्तिश्क में काफिरों (हिन्दुओं) के विरुद्ध ज़हर भर दिया जाता है तथा उन्हें उनसे जिहाद करने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्या मदरसों से निकले बच्चे सच्चे देषभक्त बन सकते हैं? क्या इन मदरसों से पढ़े मुसलमान हिन्दुओं के साथ सह-अस्तित्व की भावना रख सकते हैं ? दारुल उलूम देवबंद तथा भारत में इससे जुड़े अन्य मदरसों में आज भी हनफी फिक (कानून) की शिक्षा दी जाती है। इसकी अधिकांश पुस्तकें पाँच सौ साल से अधिक पुरानी हैं, कुछ ऐसी भी हैं जो एक हजार साल पहले लिखी गईं। इनको मध्यकालीन हनफी उलेमाओं द्वारा विश्लेषण की गई तफसीर को आज तक इन मदरसों में पढ़ाया जाता है। हनफी फिक की विशेष पुस्तक जो देवबंद और अधिकांश दूसरे उच्च स्तरीय मदरसों में पढ़ायी जाती है, हिदाया के चार खण्ड हैं जो 12वीं शताब्दी में केन्द्रीय हनफी फिक ‘‘शेख बुरहानुद्दीन अबुल हसन अली अल मारगिनानी’’ ने लिखा था (जन्म 1117 ई.) इन हिदाया के खण्डों में अनेक विषय हैं जिनमें इस्लाम के अनुयायियों तथा काफिरों के साथ कानून लगाने का विस्तृत वर्णन है। मदरसों की पुस्तकों में पढ़ाए जाने वाले कुछ अंश - 1. अल्लाह को पूज, वतन को ना पूज (पृ.68, मनुहाजू अलहरव्यातू-भाग-2) 2. ऐ खुदा हम तेरी इबादत करते हैं और शुक्र करते हैं, किसी दूसरे खुदा की इबादत नहीं करते। (पृ. 70, मनुहाजू अलहरव्यातू, भाग-2) 3. अरब के लोग अक्सर मिट्टी और पत्थर की मूर्तियां बनाकर उन्हें पूजते थे। लड़कियों को पैदा होते उन्हें मार डालते, हज़ारों गुनाह किया करते, धीरे-धीरे लोग इस्लाम को मानने लगे। उनको समझाया गया कि आप बुतों की पूजा क्यों करते हो। खुदा एक है उसकी इबादत करो (पृ. 16, बेदीनी) 4. हर एक मुसलमान को चाहिए कि वह खुदा के रास्ते पर ही चले। (पृ. 37, बेदीनी) 5. आपने फरमाया कि अगर तुम मुझे सच्चा समझते हो तो खुदा एक है। इसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है। जो नहीं मानता वह मूर्तियों की पूजा करते हैं और सब काफिर हैं। तुम लोग अल्लाह पर ईमान लाओ वरना दोज़ख में जाओगे (पृ. 34, रसूल अरबी) 6. कुछ कौमें गाय के गोबर और पेशाब को पवित्र मानती हैं। गोबर से चैका देती हैं। हमारे नज़दीक इसका पेशाब और गोबर दोनों नापाक हैं। कपड़े या और चीज़ की दरमभर जगह पर पड़ जाए तो वह पलीद हो जाती है (पृ. 39, उर्दू की दूसरी किताब) 7. बाज़ लोग गाय की बहुत ताजीम (इज्जत) करते हैं। इसका नाम लेना हो तो अदब का लिहाज करके ‘गोमाता’ कहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि उसके सामने माथा भी टेकते हैं और उसे पूजते हैं। हमारे मजहब में यह दुरुस्थ नहीं है क्योंकि यह चीज़ खुदा ने हमारे आराम के लिए बनायी हैं। इतना ही काफी है कि हम उसे अच्छी हाल में रखें। आराम पाएं, यह नहीं कि उसकी ऐसी इज्ज़त करें और पूजें। (पृ 41, उर्दू की दूसरी किताब) 8. हिन्दुस्तान में करोड़ों बुतों की पूजा होती थी - किस कदर शर्म की बात है। बदन के नापाक हिस्सों - लिंग को भी पूजा जाता था। हर शहर में अलग-अलग हुकूमत, लूटमार, झगड़े-फसाद थे। दुनिया को उस समय सच्चे रहबर की ज़रूरत थी। हुज़ूर हलिया वस्लम (पृ. 32, तारीख इस्लाम, प्रथम भाग) 9. शहर मक्का यहाँ तक कि खाना काबा के भी जो खास इबादत का मकाम है और बड़ा मुकद्दस घर है, मिट्टी और पत्थर की मूर्ति जिन्हें बुत कहते हैं, रखी गईं और उनकी पूजा होने लगी। इस हालत में अल्लाहताला ने अपने फजलवा कर्म से हजरत इस्माइल हलिया इस्लाम के घराने में हमारे रसूल करीम अल्लाह वलिया वस्लम को पैदा किया। जिनकी पाक तालीम की बदौलत दुनिया के बड़े हिस्से से बुतपरस्ती का नामोनिशान बिल्कुल मिट गया और सिर्फ खुदा की ही परस्ती होने लगी। (पृ. 4-5, बे-दीनी) 10. सवाल: जो लोग खुदाताला के सिवा और किसी की पूजा करते हैं या दो-तीन खुदा की पूजा करते हैं, उन्हें क्या कहते हैं ? जवाब: ऐसे लोगों को काफिर मुशरफ कहते हैं। सवाल: मुशरफ बख्शे जाएंगे कि नहीं ? जवाब: मुशरफों की बक्शीश नहीं होगी। वह हमेशा तकलीफ (मुसीबत) में रहेंगे सवाल: क्या यह कह सकते हैं कि हिन्दुओं के पेशवा जैसे कृष्ण जी, रामचन्द्र जी वगैरह खुदा के पैगम्बर थे ? जवाब: नहीं कह सकते - क्योंकि पैगम्बरी का खास ओहदा है जो खुदा की तरफ से खास बंदों को अता फरमाया जाता था। हिन्दुओं या अन्य कौमों के पेशवाओं के मुतालिक हम ज़्यादा से ज़्यादा इस कदर कह सकते हैं कि अगर उनके अमान दुरुस्त हों और उसकी तालीम आसमानी तालीम के खिलाफ न हों तो मुमकिन हैं कि वे नबी हैं मगर ये कहना अटकल का तीर है। (पृ. 12, तालीम इस्लाम का हिस्सा - 4) कुर्बानी 1. प्रश्न: क्या मुस्लिम गाय की इबादत करता है ? उत्तर: नहीं। वह खुदा की इबादत करता है। गाय एक मख्लूक, अल्लाह इसका मालिक है। इबादत खालिक के लिए है कि ना कि मख्लूख के लिए। हर चीज़ में फायदा है। पानी में फायदा है, हवा में फायदा है, मिट्टी में फायदा है। क्या तुम इन सबकी इबादत करोगे ? नहीं - हम सिर्फ खुदा की इबादत करते हैं। (पृ. 78, मनुहाजू अलहरव्यातू, भाग-2) 2. मेरी वालदा ने एक मोटी गाय ज़बे करने के लिए खरीदी थी और कहा कि इसमें सात हिस्से हैं, एक मेरा, एक तुम्हारे वालदा का, एक तुम्हारा और चार हिस्से तुम्हारे दो-भाइयों और दो-बहनों के। (पृ. 37, अल्लकरात अलअषदत भाग-2) 3. कुर्बानी बच्चे, बालिक मुसलमान - मर्द व औरत, पर कुर्बानी वर्जित है। एक आदमी एक बकरा, सात बकरे,,सात आदमियों की तरफ से, एक गाय या एक और कुर्बानी चाहिए। बकरा एक साल, गाय दो साल की, और ऊँट पाँच साल का, सब ऐबों से पाक होकर इनकी कुर्बानी जायज़ है। कुर्बानी करने वाला इसका गोश्त खुद भी खाए और अजीज़ों और दोस्तांे को भी खिलाए, खैरात भी करे, बेहतर तो यह है कि एक तिहाई गोश्त खैरात करे। (पृ. 22-23, छत्तीसगढ़ मदरसा बोर्ड, रायपुर, दीनियात कक्षा-4) खुदा सब चीज़ों को पैदा करने वाला अच्छी तरह से जान लो कि ‘‘अल्लाह’’ ने तुमको मिट्टी से बनाया, इसकी कुदरत बहुत बड़ी है, देखो अल्लाह ने कैसे बड़े पहाड़ पैदा किए और समुद्र भी कैसे पैदा किए। (पृ. 84, मनुहाजू अलहरव्यातू-भाग-2) यह ज़मीन, आसमान, सूरज, चाँद-सितारों को अल्लाह ने बनाया। अल्लाहताला एक है, बहुत नहीं। अल्लाहताला मुसलमान होने और बुरी आदतों से बचने मंे राज़ी होता है। वह काफिरों से कभी राज़ी नहीं होता। इस्लाम मज़हब तमाम मज़हबों से पाक, अच्छा और सच्चा मज़हब है। (पृ. 4-7, नूरी तालीम) अल्लाह एक है, उसका कोई शरीक नहीं, उसने ज़मीन, आसमान, चाँद, सूरज, सितारे, दरिया, पहाड़, दरख्त, इंसान, हैवान, फरिश्ते और इसी प्रकार दूसरी तमाम चीज़ों को पैदा किया। जिहाद 1. आखिर अल्लाहमियां ने हुजू़र को हुक्म दिया कि दुश्मनों से लड़ाई करो। ऐसी लड़ाइयों को ‘जिहाद’ कहते हैं। (पृ. 69, रसूल अरबी) 2. बादशाहों के नाम हुज़ूर ने खत लिखे जिसमें लिखा था कि तुम मुसलमान हो जाओ और अपनी रियाया को भी मुसलमान बनाओ वरना तुम पर अज़ाब आएगा। जिन्होंने खत को फाड़ कर फेंक दिया और गुस्ताखी की तो सल्तनत ही बरबाद हो जाएगी। (पृ. 106, रसूल अरबी) 3. हमें अच्छी तरह से मालूम है कि सब बुराइयों की जड़ और हर किस्म के फितना, फसाद, जु़ल्म व ज़्यादती इंसानों की अल्लाह से बगावत के कारण है। हम यह जानते हैं कि यह ज़िम्मेदारी मुसलमानों पर आयद होती है। (पृ. 124, तारीख इस्लाम प्रथम भाग) 4. आप में से बहुत से लोग सोचते होंगे कि हम लोग मदरसे के छोटे लड़के हैं - हम क्या कर सकते हैं। खुद को करीम, सलीम, कली, हलिया, वसलम ने भी कमसिन (छोटी आयु) में दुनिया को संभाल लिया। हम भी बच्चे मिलकर बैठें। इंशाअल्लाह दुनिया की रहनुमाई ऐसे पाक हाथों मंे होगी जो तमाम खराबियों का नामोनिशां मिटा दे। (पृ. 125-126, तारीख इस्लाम, प्रथम भाग) इस्लाम 1. जब इस्लामी हुकूमत हुआ करती थी और हिम्मतें बुलंद थीं तो नौजवान ‘जिहाद’ करने और मुल्क फतह करने का रियावतमंद हुआ करता था। कोई हुकूमत की बुनियाद कायम करता या शहादत की मौत हासिल करता (पृ. 51, अल्लकरात अलअशदत भाग-2) 2. जन्नत ऐसी जगह है जहाँ पानी, दूध और शहद के दरिया हैं। इनसे नहरें निकलती हैं। जन्नत की औरतें इतनी खूबसरत हैं यदि उनमें से कोई औरत ज़मीन पर झाँके तो सूरज की रोशनी मिट जाए। (पृ. 9, नूरी तालीम) 3. जो लोग जन्नत में जाएंगे, सदा तंदरुस्त रहेंगे और हमेशा जिंदा रहेंगे (पृ. 10, नूरी तालीम) 4. सब अपने अमाल (कर्म) के हिसाब से जन्नत और दोज़ख में भेज दिए जाएंगे, जो मुसलमान अपने गुनाहों की वजह से दोज़ख में गिर पड़ेंगे, हमारे पैगम्बर उनकी सिफारिश करेंगे और दूसरे पैगम्बर गुनाहगारों की सिफारिश करेंगे और सारे मुसलमान जन्नत में चले जाएंगे और सभी काफिर दोज़ख में जाएंगे (पृ. 12, तलकीन ज़दीद) 5. कब्र में भी सवाल-जवाब होंगे। मोमिन जवाब देगा - अल्लाह मेरा रब है, इस्लाम मेरा दीन है। काफिर जवाब नहीं दे सकेगा और इसलिए कब्र में काफिरों और गुनाहगारों का अंजाम होगा। (पृ. 13, तलकीन ज़दीद) 6. वह कयामत के दिन जिंदा करके सबके अमाल का हिसाब दे देगा और नेकी व बदी का बदला लेगा। (पृ. 26, इस्लामी तालिमात, पंजम के लिए) 7. रसूल-ए-खुदा जब किसी के घर में बच्चा होता है तो सबसे पहले उसे आपकी खिदमत में पेश किया जाता है। आप बच्चे के सिर पर हाथ फेरते, खजूर चबाकर लुआब (थूक) बच्चे के मुंह में डालते और उसके लिए बरकत की दुआ फरमाते (पृ. 13, हमारी किताब, कक्षा-4) 8. तुममें बेहतर वह शख्स है जो कुरआन सीखे और दूसरों को सिखाए। (पृ. 18, हमारी किताब-2, कक्षा-3) 9. हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सली अल्लाह हलिया वस्लम को जो लोग मानते गए वह मोमिन कहलाए। बाकी जो बात न मानने वाले काफिर कहलाए। अरब के सारे लोग मुसलमान हो गए। सबका दीन इस्लाम हो गया (पृ. 16-17, हमारी किताब-2, कक्षा-3) 10. सवाल: कुफ्र और शरीक किसे कहते हैं ? जवाब: जिन चीज़ों पर ईमान लाना ज़रूरी है उनमें से किसी एक बात को भी न मानना कुफ्र है। खुदाताला की किताबों को न मानना कुफ्र है। (पृ. 19, तालीम इस्लाम-4) सवाल: यदि गुनहगार आदमी बगैर तौबा किए मर जाए तो जन्नत में जाएगा या नहीं? जवाब: हाँ। सिवाए काफिर और मुशरक के बाकि तमाम गुनाहगार अपने गुनाहों की सज़ा पाकर जन्नत जाएंगे। काफिर कभी भी जन्नत नहीं जाएंगे (पृ. 25, तालीम, भाग-4) काफिर 1. पैगम्बर मोहम्मद ने उस्तनतुनिया के तरफ कूच किया और इसके लिए ज़बरदस्त तैयारी की क्योंकि यह खुदा का फरमान है। काफिरों से मुकाबला करने के लिए तुम जो भी ताकत जमा कर सकते हो, तैयार करो ( पृ. 62, अल्लकरात अलअशदत भाग-2) 2. इस्लाम को न मानने वाले को काफिर कहते हैं। मुसलमानों को अल्लाहताला मरने के बाद कब्र में आराम देगा और कयामत में हिसाब-किताब के बाद जन्नत में जगह इनायत फरमाएगा। काफिर अगरचे हर दुनिया में बड़े आराम से रहता है पर हकीकत में वह इज़्ज़त की जिन्दगी नहीं, और मरने के बाद उसे हमेशा दोज़ख की आग में जलाया जाएगा। (पृ-8, नूरी तालीम) 3. दोज़ख एक मकान है जिसमें काफिरों और गुनाहगारों के लिए आग भड़कायी गई है। हर तरफ आग ही आग होगी। गंदगी और कीचड़ होगी। (पृ. 11, नूरी तालीम)। 4. दीन इस्लाम को न मानना या दीन की जो बातें यकीन से साबित हैं इनमें से किसी एक का भी इंकार करना, ‘कुफ्र’ है। कुफ्र व शरक पर मरने वाले हमेशा दोज़ख में रहंेगे। जन्नत एक नुशानी, रूहानी और लतीफ जिस्मों का खूबसूरत आलम है, निहायत पाकिज़ा जहाँ आराम और राहत के जिस्म और जान के सारी लज्जतें हासिल जैसे बागात, महलात, नहरें, हूरंे (पृ. 5, तलकीन ज़दीद) 5. दोज़ख एक ऐसा जहान है जिसमें दुःख, दर्द, रंज व गम के सभी अश्वाब मोहिया होंगे और हर किस्म के अज़ाम मौजूद नहीं होंगे। खुदा ने उसको काफिरों और गुनाहगारों के लिए पैदा किया है और काफिर उसमें हमेशा रहेगा। (पृ. 6, तलकीन ज़दीद) 6. वह बड़ा गुनाह करता है जो हिन्दुओं और बड़ी बदऐतों के मेले में जाता है। काफिरों की दीवाली, दशहरा मनाना या इस मौके पर उनके साथ रहना यह सब गुनाह है। (पृ. 44, तलकीन ज़दीद) 7. जो खुदा के अंजाम से डरते हैं, वह काफिर हैं। जो खुदा को सज़दा करते हैं, वह खुदा की रहमत के उम्मीदवार हैं। (पृ. 144, छत्तीसगढ़ मदरसा बोर्ड, दीनीयात कक्षा-2) 8. सवाल: जो लोग खुदा ताला को नहीं मानते, उन्हें क्या कहते हैं ? जवाब: उन्हें काफिर कहते हैं। (तालीम इस्लाम) उपरिवर्णित पाठ्यक्रमों से स्पश्ट है कि मुसलमान बच्चों को किस प्रकार की षिक्षा, मदरसों और मख्तबों में दी जाती है। उनके मस्तिश्क में काफिरों (हिन्दुओं) के विरुद्ध ज़हर भर दिया जाता है तथा उन्हें उनसे जिहाद करने के लिए प्रेरित किया जाता है। क्या मदरसों से निकले बच्चे सच्चे देषभक्त बन सकते हैं? क्या इन मदरसों से पढ़े मुसलमान हिन्दुओं के साथ सह-अस्तित्व की भावना रख सकते हैं ?

Friday, February 15, 2013

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (AMU) के 60 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सोनिया गांधी

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के 16 फरवरी को होने वाले 60 वें दीक्षांत समारोह की सभी तैयारी पूरी है इसके साथ ही यह सवाल भी तैरने लगे हैं कि मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आने का राजनीतिक सबब क्या है? वैसे फिलहाल तो सोनिया के एएमयू में आने से कांग्रेस और यूनिवर्सिटी दोनों ही पक्षों को फायदा होता दिखाई दे रहा है।

यूनिवर्सिटी प्रशासन को लग रहा है कि सोनिया चूंकि सत्तारूढ़ यूपीए की अध्यक्ष हैं इसलिए विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की राह उनके आने से आसान होगी। दूसरी ओर सन 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होकर सोनिया देश के अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं में एक संदेश भी देना चाहती हैं, जिससे उनका झुकाव वह पार्टी की ओर कर सकें।

वैसे राहत की बात यह है कि इस दीक्षांत समारोह की राह में सोनिया गांधी के लिए कुछ दिनों पहले तक दिखाई दे रहे रुकावट के पत्थर हट चुके हैं। कुछ दिन पहले हुए छात्र संघ चुनाव में मुखर रहा अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा सोनिया के समक्ष रखने पर सहमति हो चुकी है। जबकि इससे पहले घोषणाएं की गईं कि पहले दर्जे बहाली की घोषणा हो तब वह कैंपस में कदम रखें।

सब कुछ ठीक ही था कि संसद हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू की फांसी के बाद एएमयू का माहौल सरमगर्म हो गया था। विश्वविद्यालय के कश्मीरी छात्रों ने नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी। एक दिन बाद फांसी के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकाला। लेकिन जल्द ही उन्हीं की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि सोनिया के आगमन से उनका कोई विरोध नहीं है, उनका यहां स्वागत है। अब सब कुछ ठीक हो चला है।

वहीं, जानकारों का मानना है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक स्वरुप बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरोकारी का वादा कर सकती हैं। लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पास न होने के बारे में उनका तर्क यह हो सकता है कि सदन में उनके पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। इसके अलावा यहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौगात की घोषणा भी कर सकती हैं।

देखना यह है कि दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय को इस मेजबानी के एवज में क्या मिलता है? और 2014 में कांग्रेस को सोनिया के विश्वविद्यालय में आने का क्या फायदा मिलता है? यह अभी भविष्य की बात है।

Thursday, February 14, 2013

15 अरब का वैलेंटाइंस डे ?

वैसे तो प्यार का कोई मोल नहीं होता है। प्यार के नाम पर बने इस वैलेंटाइंस डे पर प्यार करने वालें कितने रुपये खर्च करते हैं उसका भी कोई हिसाब नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन उद्योग जगत के लिए यह दिन काफी लाभदायक माना जाता है। अगर व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो इस दिन व्यापारियों को जबरदस्त फायदा पहुंचता है। हां लोग जहां इस प्यार के दिन को पूरे दिल से मनाते हैं वहीं व्यापारी तो अपने ही नजर से इस दिन को देखते हैं। आपको बता दें वैलेंटाइन के इस अकेले दिन में भारत में करीब 15 अरब रुपये का कारोबार होता है। व्यापारिक संगठन एसोचैम के सर्वे में यह बात सामने आई है।

इस सर्वे को सफल बनाने के लिए बड़े शहरों के 800 कंपनी अधिकारी, 150 शिक्षा संस्थानों के 1000 से अधिक विद्यार्थियों से पूछताछ की गई है। उसके बाद यह आंकड़ें निकाले गए हैं। सर्वे में आया है कि बड़े बड़े कॉरपोरेट सेक्टर और आईटी कंपनियों के अधिकारी 1000 रुपये से 50 हजार रुपये तक गिफ्ट में खर्च करते हैं और छात्र 1000 रुपये से 10 हजार तक इस दिन पर खर्च करते हैं। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल कारोबार में 20 फीसद का इजाफा हुआ है। पिछले साल 250 मिलियन का कारोबार हुआ था।

भले ही इस दिन गिफ्ट के तौर पर रिंग, कपड़े, गहने, कार्डस, फोन की खूब बिक्री होती है लेकिन फूल के कारोबार को कोई छू नहीं पाता है।

केंद्र सरकार गोमांस खाने को बढ़ावा दे रही

आयरन की कमी के लिए गाय का मीट खाना चाहिए, ये कथन छापने वाली केंद्र सरकार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्रालय की किताब 'पोषण' विवादों में घिर गई है। भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने वोट बैंक तुष्‍टीकरण के लिए आयरन की कमी पूरी करने के नाम पर गोमांस खाने का प्रचलन बढ़ा कर घोर पाप किया है। पार्टी इस मुद्दे को संसद में भी उठाएगी। मेरठ में बुधवार को भाजपाइयों ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कार्यालय पर जमकर हंगामा किया। उनका कहना था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही गोमांस के बारे में ऐसा लिखा गया है।
जो सरकार गौ मांस खाने की बात करे उससे गौरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है. जी हाँ कांग्रेस मुस्लिम वोट को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है. केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक एवं राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में शरीर में ऑक्सीजन संचरण और खून बनाने के लिए गाय का मांस खाने की सलाह दे रहा है। यह सलाह बाकायदा बुकलेट वितरित करके दी जा रही है। मवाना कस्बे में ये बुकलेट सामने आए हैं।
यह किताब हिन्दुओं को भड़काने वाली और उनकी भावनावों से खिलवाड़ है। मुस्लिमों के खिलाफ कुछ भी छपते ही या फिल्म के एक डायलाग पे ही मरने मारने पे उतारू हो जाते है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय कोई मुस्लिम मंत्रालय नहीं बल्कि उसमें सिख/पारसी और दूसरे धर्म भी शमिल है। हिन्दू धर्म मे गोमांस (हराम) है फिर क्यो हमारी भावना को आहत किया जाता है? हिन्दू गाय को लेकर ही पिछले 1300 साल से मुसलमानो से मानसिक तौर से कभी नहीं जुड़ा और इस कौम को अजनबी ही आज तक माना जाता रहा है। आयरन बढने के लिय गाय खाई जाये यह कही नहीं लिखा है, आयरन बढ़ाने के और भी उपाय है। पर इस पुस्तक का उद्देश सिर्फ हिन्दुवों को भड़काने और नीचा दिखाने के लिय ही किया या है। हिन्दू में मांसाहार वर्जित नहीं है पर हिन्दू स्मृतिकारों ने साफ लिखा गकि (जिस पशु से श्रम (मेहनत) लिया गया हो उसका वध निषेध (हराम) है। हम अहसान फरामोश नहीं है, इसलिय सभी घरेलू प्राणी जिससे श्रम (लेबर) के रूप में लिया गया हो उशका वध नहीं सकता। इस प्रकार गाय ही नहीं बल्कि ऊंट, गधा, घोडा, भैंस बैल सब हराम हो गए। दूसरे जीव स्म्रतिकारों के अनुसार जिस जानवर के हाथ मे पाँच नाखून (पंच नखा वर्जित) है जैसे भालू, बंदर, गोह, कूत्ता, स्वय इंसान, इन सब का मांसाहार वर्जित (हराम) है। इस्लाम मे सुवर (पिग) को छोड़ कर सब को हलाल (जायज़) कर दिया यानि आदमी को भी हलाल है और उसका मांस भी उचित है संक्षेप मे हिन्दू धर्म मे जिस पशु से श्रम (लेबर) लिया हो और पंच नखा (पाँच नाखून वाला जीव) वर्जित है। मुसलमानो मे गाय का क़तल के ऊपर एक पूरा सूरा है। सूरा-बकरा, अरबी मे बकरा का मतलब गाय ही होता है। यहूदी लोग सुवर, ऊंट, खरगोस का मांश वर्जित पर अरबों मे ऊंट का मांस प्रिय था इसलिय अपनी पसंद कि हर चीज़ हलाल (जायज) हो गयी और नापसंद कि चीज़ हराम (नाजायज) हो गयी और समर्थन मे पप्पट अल्लाह कि मोहर लगवा दी। इस पुस्तक को तत्काल प्रतिबंधित कि जाए और दोषी को जेल भेजा जाए।

Saturday, February 9, 2013

Blog : आलोचना का भी करें प्रबंधन

चाणक्य ने कहा है, "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।" इसी से सम्बंधित एक प्रसंग है- भगवान बुद्ध के पास एक बार एक व्यक्ति पहुंचा। वह उनके प्रति ईष्र्या और द्वेष से भरा हुआ था। पहुंचते ही लगा उन पर अपशब्दों और झूठे आरोपों की बौछार करने। भगवान बुद्ध पर उसका कोई असर नहीं हुआ।

वह वैसे ही शांत बने रहे, जैसे पहले थे। इस पर वह व्यक्ति आग-बबूला हो गया। उसने पूछा, "तुम ऐसे शांत कैसे बने रह सकते हो, जबकि मैं तुम्हें अपशब्द कह रहा हूं?" बुद्ध इस पर भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने शांत भाव से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "अगर आप मुझे कोई वस्तु देना चाहें और मैं उसे स्वीकार न करूं तो क्या होगा? वह चीज तो आपकी ही बनी रह जाएगी न! फिर मैं उसके लिए व्यथित क्यों होऊं?"

आलोचना के संदर्भ में भगवान बुद्ध का यह सवाल आज भी उतना ही प्रासंगिक है। गायत्री तीर्थ के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा ने कहा है, 'कोई आपको तब तक नीचा नहीं दिखा सकता, जब तक कि स्वयं आपकी उसके लिए सहमति न हो।' घर हो या बाहर, ऐसी कोई जगह नहीं है जहां आपको आलोचना का सामना न करना पड़े। हर क्षेत्र में और हर जगह यह आम बात है। यह कभी स्वस्थ तरीके से की जाती है, तो कभी बीमार मानसिकता से भी।

कभी आपके व्यक्तित्व को निखारने के लिए की जाती है तो कभी उस पर थोड़ी और धूल डाल देने के लिए, यह साबित करने के लिए कि आप किसी से कम हैं। ठीक इसी तरह इसे ग्रहण करने की बात भी है। कुछ लोग इसे स्वस्थ मन से स्वीकार करते हैं और कुछ इसी से अपने मन को बीमार बना लेते हैं। कुछ लोग इसे अपने व्यक्तित्च के विकास का साधन मान लेते हैं और कुछ इसके शिकार बन जाते हैं।

कुछ को ऐसा लगता है कि यह जो आलोचना की जा रही है, सही है तो वे खुद को सुधारने लगते हैं। कुछ कुढ़ने लगते हैं और कुछ हताश हो जाते हैं। कुछ लोग अपने कान बंद कर लेते हैं। कुछ एक कान से सुनते हैं और दूसरे से निकाल देते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो सुनते हैं, अगर उन्हें लगता है कि बात सही है तो सुनते हैं, वरना ठहाका लगाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।

किसी की आलोचना का आप पर कैसा असर होता है, यह एक सीमा तक आपके दृष्टिकोण पर निर्भर है। इस सच का एक दूसरा पक्ष भी है। वह यह कि इस दृष्टिकोण से ही यह निश्चित होता है कि आप अपनी जिदगी में किस हद तक सफल होंगे। इसीलिए सजग लोग आलोचना को भी अपने व्यक्तित्व विकास की योजना का एक जरूरी हिस्सा बना लेते हैं। आप चाहें तो इसे आलोचना प्रबंधन का नाम दे सकते हैं। जी हां, जैसे समय का प्रबंधन होता है, संसाधनों और स्थितियों का प्रबंधन होता है, वैसे ही आलोचना का भी प्रबंधन किया जा सकता है। आलोचना का प्रबंधन करके आप उसका पूरा लाभ उठा सकते हैं, और न केवल अपने व्यक्तित्व, बल्कि व्यावसायिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण पूंजी बना सकते हैं।

आलोचना प्रबंधन का मतलब

कुछ समय पहले मैंने बेस्ट सेलिंग लेखक अरिंदम चौधरी की एक पुस्तक 'खुद में तलाशें हीरा' पढ़ी। इस पुस्तक की भूमिका फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने लिखी है। शाहरुख खान की सफलता आज किसी से छुपी नहीं है। वह कहते हैं कि असफलताओं से मुझे बहुत डर लगता है। असफल होने के डर से मैंने जहां कहीं जो कुछ भी किया उसमें अपना सौ फीसदी से ज्यादा दिया और ज्यादातर मामलों में मुझे सफलता मिलती गई।

अगर आप नाकाम नहीं होंगे तो कभी सीख नहीं पाएंगे। सबसे बड़ी बात अपनी भूमिका में शाहरुख ने जो लिखी है वह है, 'सफलता हमेशा अंतिम नहीं होती, वैसे ही जैसे असफलता हमेशा घातक नहीं होती।'

इस पुस्तक में अरिंदम चौधरी ने भी आलोचनाओं को हल्क में न लेने की सलाह दी है। मैंने भी अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में यही सीखा है। आप कुछ भी करें लोग आपकी आलोचना का अवसर निकाल ही लेंगे। अब यह आपके ऊपर है कि आप उस आलोचना से अपना मार्ग और उस पर चलने का तरीका किस तरह सुधारते हैं। यह भी आप पर है कि आप आलोचना से घबरा कर अपने मार्ग से ही हट जाएं और चलना बंद कर दें। उचित यह होगा कि आलोचनाओं का विश्लेषण करके आप उनसे अपने जीवन और लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयासों में सुधार कर लें। इसी को आलोचना प्रबंधन कहते हैं।

आलोचना प्रबंधन का आशय यह है कि किसी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया न करें। पहले यह समझें कि आलोचना करते वाले का मंतव्य क्या है। क्या जो बात वह कह रहा है उसमें सचमुच कुछ दम है या ऐसे ही वह केवल अपनी संतुष्टि के लिए या आपको अपमानित करने के लिए ही आलोचना किए जा रहे हा है?

इसका आरंभ आप स्वयं अपने प्रति अपने नजरिए को स्पष्ट करके कर सकते हैं। जब भी कोई आपके विरुद्ध कोई बात करे तो सबसे पहले यह देखें कि क्या वास्तव में यह बात सच है।
इसके लिए जरूरी है कि आप अपने संबंध में पूरी तरह विश्वस्त हों। अपने गुण-दोषों के आकलन के लिए आप दूसरों पर कतई निर्भर न रहें, चाहे वे आपके परिवार के सदस्य ही क्यों न हों। यह विश्वास रखें कि अपने गुण-दोष आप सबसे अच्छी तरह से जानते हैं।

लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि समझ के दूसरे दरवाजे बंद कर लें, क्योंकि गलती करना मनुष्य का स्वभाव है और आप उससे अलग नहीं हैं। अत: जब भी कोई आपकी कार्यप्रणाली या व्यवस्था या व्यक्तित्व के किसी भी पक्ष को लेकर कुछ कहे तो उसे सुनें जरूर, फिर आत्मनिरीक्षण करें। यह सीखें कि क्या अगला जो कह रहा है, वह सही है या बस ऐसे ही उसने बिना जाने-बूझे ही कुछ कह दिया है।

अगर आपको कभी यह लगे कि वास्तव में उसकी बात सही है तो आप स्वयं को सुधारने की शुरूआत तुरंत कर दें, इसके विपरीत यदि यह जाहिर हो कि इसमें आपकी गलती बिल्कुल नहीं है, दूसरे व्यक्ति ने केवल अपनी गलती छिपाने के लिए आप पर दोषारोपण किया है, तो उसे तुरंत अपने मन से निकाल दें। उसको लेकर कुछ भी सोचने या करने की कोई जरूरत नहीं है।

Friday, February 8, 2013

Blog : संसद हमला अफजल गुरु और जनाक्रोश...

दामिनी प्रकरण में उमडे जनाक्रोश की धमक से सहमें हुक्मरानों ने दी संसद हमला काण्ड के गुनाहगार अफजल गुरू को फांसी 13 दिसम्बर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी आतंकी अफजल को दिल्ली के तिहाड़ जेल में आज 9 फरवरी तडके 5बजे कर 25 मिनट पर फांसी दे दी गयी। तिहाड की जेल नम्बर 3 में दी गयी देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर पाक द्वारा कराये गये आतंकी हमले के इस दोषी अफजल गुरू को फांसी पर न लटकाये जाने से पूरे देश की जनता देश के हुक्मरानों को वर्षों से धिक्कार रहे थे । जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 2002 में इस आतंकी को फांसी की सजा देने के बाबजूद तमाम प्रक्रिया से गुजरने के बाद 20 अक्टूबर 2006 में इसकी फांसी की सजा पर अंतिम मुहर लग गयी। परन्तु तब से इसको फांसी देने में राष्टपति के समक्ष दया की याचिका के नाम पर लटकाया गया। देश ही नहीं पूरा विश्व संसद पर हमले के फांसी की सजा पाये आतंकी अफजल गुरू को भारतीय हुक्मरानों द्वारा फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता पर हैरान था वहीं इस प्रकरण से जहां जग हंसाई हो रही थी वहीं देश के नागरिकों का आक्रोश निरंतर बढ़ रहा था।

इसके साथ देश के सुरक्षा बलों का मनोबल पर विपरित प्रभाव पढ़ने व आतंकियों को हौसले बढ़ने के बाबजूद देश की सरकार नपुंसकों की तरह मूक बेठी हुई थी। इसी बीच दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए एक छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार के शिकार प्रकरण पर नपुंसक सरकार के खिलाफ 22व 23 दिसम्बर को इंडिया गेट से विजय चैक यानी राष्टपति के दर तक उमडे अभूतपूर्व जनाक्रोश से देश के हुक्मरान न केवल भौचंक्के रह गये अपितु बेहद सहम गये। देश के हुक्मरानों ने जो जनाक्रोश मिश्र, लीबिया व सीरिया सहित संसार के देशों में देखा उन्हें राष्ट्रपति के दर पर आजादी के बाद पहली बार उमडे इस प्रकार के जनाक्रोश ने पूरी तरह हिला कर रख दिया। इसी जनाक्रोश से भयभीत जनभावनाओं को रौंदने वाली व अफजल गुरू जैसे आतंकी को सजा देने में नपुंसक बनी हुई मनमोहनी सरकार ने इसी शुक्रवार 8 फरवरी को गृहमंत्रालय के द्वारा फांसी देने का फेसला लेने के लिए मजबूर हुई और 9 फरवरी की प्रातः इस आतंकी को फांसी की सजा दे दी गयी। इस आतंकी को तिहाड़ जेल में ही दफनाने का निर्णय लिया गया। इस प्रकार दामिनी का बलिदान व जनाक्रोश दोनों ने देश पर लगे इस आतंकी के कलंक से मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि इसके पहले राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की दया याचिका को 3 फरवरी को खारिज कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस आतंकी को फांसी की सजा देने की अपील को ठुकराने के बाद देश की सरकारों ने कई वर्षो तक इसे फांसी के फंदे पर न लटकाये जाने से न केवल देश के नागरिक आक्रोशित थे अपितु इस हमले में संसद की रक्षा व आतंकियों को मार गिराने में अपनी शहादत देने वाले अमर वीर जवानों के परिजनों ने 13 दिसम्बर 2006 को सरकार को अपने सम्मान भी सामुहिक रूप से वापस कर दिये थे। 13 दिसम्बर 2001 को यह आतंकी हमला उस समय हुआ जब संसद का सत्र चल रहा था उस दिन पाकिस्तान के आतंकी लक्शरे ताइबा व जैश मोहम्मद के 5 आतंकियों ने गृहमंत्रालय का स्टीकर लगी कार से दाखिल हो कर अंधाधुंध गोलिया चला कर संसद में घुसने की कोशिश की इसको जांबाज सुरक्षा बलों ने अपनी जान की बाजी लगा कर विफल करके पांचों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। उस समय संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी ही नहीं अपितु उप राष्ट्रपति भी संसद में थे। इस हमले में पांचों आतंकियों सहित 12 लोग मारे गये और 18 घायल हो गये। शहीद होने वालों में 5 पुलिस के जवान, एक संसद का सुरक्षा गार्ड व एक माली था। देश में अफजल गुरू के अलावा 5 आतंकी और भी है जिनको फांसी पर लटकाये जाने का इंतजार देश कर रहा है। इनमें राजीव गांधी गांधी के हत्यारों मुरुगन, संथान और पेरारिवलन, पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने वाले बलवंत सिंह राजोआना तथा मनिंदर जीत सिंह बिट्टा को निशाना बनाकर बम धमाका करने वाले देविंदर पाल भुल्लर, शामिल हैं। आतंकी अफजल गुरू कश्मीर के बारामूला जनपद का मूल निवासी है। वह एमबीबीएस का प्रथम वर्ष की परीक्षा पास करने के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए तैयारी भी कर रहा था। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का आतंकी बन गया। बीच में उसने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्म सम्र्पण भी कर दिया था। वह पाक भी आतंकी टे�र्निग लेने गया। उसके बाद वह अपने मूल स्थान सपोर में अनन्तनाग के आतंकी तारिक के सम्पर्क में आने से वह पुन्न आतंकी गतिविधियों मे ऐसा सम्मलित हुआ कि वह दिल्ली में संसद व दूतावास पर हमला करने के लिए आत्मघाती आतंकी बन गया। उसको फांसी की सजा देने का विरोध न केवल आतंकी संगठन कर रहे थे अपितु जम्मू कश्मीर की सरकार भी उसकी फांसी की सजा माफ करने के लिए केन्द्र सरकार पर निरंतर दवाब बना रही थी। 

वैलेंटाइन डे की कहानी - पूजा सिंह

यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये परंपरा आज भी चलती है,खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible" | तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था - वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के बाद |

उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (venereal disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम में घूम-घूम कर | संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |

जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा कि "ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के लाओ ", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये | क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर् फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे दिया गया |

पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |

अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी होना ही सबसे असामान्य बात है | अब ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों में आ गया है और बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के लड़के-लड़िकयां बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं | और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी करेंगे" | मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं है, वो समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो वो इसी कार्ड को अपने मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते हैं और एक दो नहीं दस-बीस लोगों को ये ही कार्ड वो दे देते हैं | और इस धंधे में बड़ी-बड़ी कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको गिफ्ट बेचना है, जिनको चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका धुआधार प्रचार कर दिया | ये सब लिखने के पीछे का उद्देँशय यही है कि नक़ल आप करें तो उसमे अकल भी लगा लिया करें | उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती है और जो शादी करते हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं

उत्तर प्रदेश में सरकारी पैसे से सैक्स वर्धक दवाइयाँ…

आगरा: सिटी मजिस्‍ट्रेट की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि दिल्‍ली में एक डीएम और कमिश्‍नर के नाम पर खरीदी गई अधिकतर दवाएं सेक्‍स ताकत बढ़ाने वाली थीं। सिटी मजिस्‍ट्रेट ने जिला अस्‍पताल के दवा स्‍टोर में पड़ताल की है। उन्‍होंने वर्ष 2011-12 में दवाओं के लोकल पर्चेज से जुड़े नौ रजिस्‍टर देखे। रजिस्‍टर के हर पेज पर सादी पर्ची में दवा और मरीज का नाम लिखा था।कई पर्चियों पर ओवर राइटिंग मिली है।सिटी मजिस्‍ट्रेट ने पाया कि काफी मात्रा में सेक्‍स और शारीरिक ताकत बढ़ाने वाली दवाएं भी ली गई थीं। हालांकि अब तक सिटी मजिस्‍ट्रेट राजकुमार ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है। उनका कहना है कि अभी रिर्पोट जमा करवाने में थोड़ा वक्त लगेगा।

कैग (CAG) के बयान पर कांग्रेस को मिर्ची लगी

कई नीतिगत मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा कर देने वाले सीएजी विनोद राय ने इस बार सरकार के कामकाज के तरीके पर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने देश में नहीं, एक इंटरनैशनल मंच से सरकार पर हमला बोला है। विनोद राय ने कहा कि सरकार करप्शन को खत्म नहीं कर पा रही है। वह उद्योगों को नहीं, उद्योगपतियों को मदद कर रही है।

प्रतिष्ठित हार्वर्ड केनेडी स्कूल में आयोजित एक सेमीनार में गुरुवार को सीएजी ने कहा कि सरकार सीएजी को ऑडिट करने वाले अकाउंटेंट से ज्यादा नहीं समझती, लेकिन सीएजी नौकरशाहों, नेता और पूंजीपतियों के बीच सांठगांठ का पर्दाफाश करता रहेगा। विनोद राय ने कहा कि सरकार को उद्योगों को समर्थन करने वाली नीतियां बनानी चाहिए, ना कि किसी खास पूंजीपति के समर्थन के लिए नीतियां बने।

कांग्रेस ने कैग के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के महासचिव दिग्विज सिंह ने कहा, 'कैग का काम ऑडिट करना है। कैग पॉलिसी बनाने लगेगा तो हमलोग क्या करेंगे? क्या वह पीएम बनना चाहते है?' दिग्विजय ने कहा कि विनोद राय जी को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कैग अगर प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो चुनाव लड़े और नीतियां बनाएं। कांग्रेस प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी कैग की सीमा में रहकर काम करने की सलाह दी।

राय ने कहा कि हम (कैग) करप्शन को तो पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते, लेकिन अफसरों-उद्योगपतियों के गठजोड़ को उजागर करते रहेंगे। 2जी और कोयला घोटाला संबंधी अपनी रिपोर्ट को लेकर सरकार के निशाने पर रहे विनोद राय ने कहा कि सीएजी की भूमिका सिर्फ संसद के सामने रिपोर्ट पेश करने तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। हमें उससे आगे जाकर अपनी रिपोर्ट की मदद से जनता को जागरूक करने का काम भी करना है।

अधिकार क्षेत्र उल्लंघन करने संबंधी आरोपों की चर्चा करते हुए सीएजी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र परिपक्व हो रहा है। शहरी मध्यम वर्ग जनसमस्याओं को लेकर अब तेजी से गोलबंद होने लगा है। ऐसी स्थिति में हम नई राह पर यह सोच कर चल रहे हैं कि जनता का हित सबसे पहले है और हमें जनहित में काम करना है।


भारत में लोकतंत्र खत्म हो चुका है, सिर्फ भ्रष्टतंत्र शेष रह गया है वित्त मंत्री की पोस्ट की गरिमा खोती जा रही है हर मंत्री चमचागिरी में लगा है. इतने बड़े संविधानिक प पर बेठे अफसर को दिग्विजय सिंह द्वारा लेखाकार कहना विनोद राय जी का अपमान है. राय जी को दिग्विजय सिंह के खिलाफ मान हानि का केस दर्ज कराना चाहिये. यह जानबूझकर अपमान किया गया है. देश की जनता विनोद राय जी पर भरोसा करती है. दिग्विजय सिंह कांग्रेस का एक प्रवक्ता है ओर कोई हेसियत नही है. राय जी ने सच क्या बोल दिया की कांग्रेसी हद मे रहने की धमकी देने लगे है. यह लोकतंत्र का तमाशा नही तो ओर क्या है ? एसए लोगो को देश की जनता सबक़ सिखाने के लिये तैयाआर बेठी है.

समग्र क्रांति जब तक नहीं होती कुछ नहीं हो सकता, देश को इन्होने अपनी जागीर समझ लिया है. मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है, हुँकारों से महलों की नींव उखड जाती, सांसो के बल से ताज हवा में उड़ते हैं, दो राह समय के रथ का घर्घर नद सुनो, सिंहासन खाली करो की जनता आती

इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है



इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ ही जाती है | कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती है | इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य विशेषाधिकार दिए गए हैं | यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती हैं | लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे 72 हूरियों से भरे 'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के अधिकारी हो जाते हैं | अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा | इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस प्रकार है

  • हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है | उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं | वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है |

  • उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है |

  • प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है | उसके उरोज उन्नत गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं | हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं |

  • हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है |

  • हूर का मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है | उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है |

  • प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी | जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी |
अब भाई अब जब हूर इतनी खूब होगीं तो कोई क्यो न अल्लाह के लिये मरने को तैयार होगा, इन आतंकियो का यही मकसद होता है कि घरती पर उनके विलास के लिये अल्लाह द्वारा दिया गया मसौदा तो तैयार ही है और जन्नत में भी हूरे उनका इन्जार कर रही है | सोने पर सुहागा हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) करती है कि ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर  की ताकत दिया जायेगा| भारत और पाकिस्तान मे 90 % के लगभग मुस्लिम हिन्दू धर्म परिवर्तन से हुये है, इतिहास गवाह है की ओरंगजेब ने कितने मुस्लिम बनाये. जो कायर थे उन्होने अपना धर्म बदला और जो वीर थे वो लड़े, शहीद हुये. पर झुके नही. फिर एक देश अलग हुआ, पर उसमे तो बहुतायत कायरो की है. भला वो कैसे हमसे युद्ध जीत सकता है, इतिहास इस चीज का भी गवाह है की आज तक हमसे पाकिस्तान किसी भी यद्ध मे नही जीत सका, जबकि हमने उसका भूगोल ही बदल दिया. तभी वो आतंकवादियो को भेजते है, बेगुनाह लोगो पर हमला करते है, अरे हिम्मत है तो सामने आकर लड़ो. हम शान्ती के दूत है, लेकिन कोई हमारे स्वाभिमान को चोट पहुँचायेगा तो हम चुप नही रहेंगे, फिर कहेंगे की अंतिम एक चुनौती दे दो सीमा पर पड़ोसी को गीदड़ कायरता ना समझे सिंहो की ख़ामोशी को, तीर अगर हम तनी कमानों वाले अपने छोड़ेंगे जैसे ढाका तोड़ दिया लौहार-कराची तोड़ेंगे, हमको अपने खट्टे-मीठे बोल बदलना आता है हमको अब भी दुनिया का भूगोल बदलना आता है.

Thursday, February 7, 2013

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मामले को बार-बार टाले जाने पर सीबीआई को जमकर फटकार लगाई है।

अयोध्या मे बाबरी ढांचे के विध्वंश को राष्ट्रीय अपराध कहने पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार लगाना स्वागत योग्य है। एक बार पुनः साबित हो चुका है कि सी.बी.आई. कांग्रेस पार्टी के एजेण्ट के रूप में कार्य कर रहा है। मा0 उच्चतम न्यायालय की यह फटकार प्रयागराज महाकुम्भ में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल एवं धर्म संसद में हुये पारित प्रस्तावों की पुष्टि करता है।

सी.बी.आई. कांग्रेस के एजेण्ट के रूप में कार्य करते हुये केवल राजनीतिक विद्वेष की भावना से देश के धर्माचार्यो तथा प्रमुख हिन्दू नेताओं को जबरन मुकदमों में फॅसाकर हिन्दुओं को अपमानित कर रही है। इससे प्रयागराज महाकुम्भ में धर्माचार्यो मे व्यापक आक्रोश है। गोरक्षपीठाधीश्व­र पूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की अध्यक्षता में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल द्वारा जो छः प्रस्ताव पारित किये, उनमें से अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मन्दिर का निर्माण, धर्मान्तरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को पूर्ण प्रतिबन्धित करना, गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिये केन्द्रीय कानून बनाना, गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिये नये सिरे से अभियान प्रारम्भ करना, अवैध घूसपैठ एवं जेहादी आतंकवाद के खिलाफ व्यापक जनजागरण के माध्यम से राष्ट्र की आन्तरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किये गये जिसकी पुष्टि देश के 10000 संतो की धर्म संसद ने प्रयागराज महाकुम्भ में किया है।
अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ न होना इस देश के 100 करोड़ हिन्दू जनता का अपमान है। इसके लिये कांग्रेस एवं वे तथाकथित राजनीतिक दल जिम्मेदार है जिन्होनें हिन्दुओं को अपमान करना एकमात्र अपना उद्देश्य बना लिया है। जो लोग इससे पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से सम्बन्धित प्रमाण मांगते थे, आज वे मौन क्यो है? स्वंय सन् 1994 में कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने मा0 उच्चतम न्यायालय में एक शपथ पत्र दाखिल किया था कि अगर यह साबित हो गया कि विवादित ढांचा किसी मन्दिर या हिन्दू स्मारक को तोड़ कर बनाया गया था तो सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी और अगर यह साबित नही हो पाया तो मुसलमानों केे भावनाओं का सम्मान होगा। इस शपथ पत्र के आलोक में दिनांक 30 सितम्बर,2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय के लखनऊ खण्डपीठ की एक पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में इस बात को स्पष्ट कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल ही प्राप्त साक्ष्यों एवं प्रमाणों के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि है। कांग्रेस नेतृत्व की यू.पी.ए. सरकार को सन् 1994 के अपने शपथ पत्र का संज्ञान लेना चाहिये तथा हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुये अब संसद में प्रस्ताव पारित कर श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ करनी चाहिये। अगर अब भी हिन्दु भावनाओं के खिलाफ कार्य करने से केन्द्र और प्रदेश सरकार बाज नही आई तो धर्म संसद का अन्तिम संकल्प है भीषण संघर्ष। धर्म संसद एवं देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल ने देश में लगातार बढ़ रही हिन्दू विरोधी गतिविधियों पर चिन्ता व्यक्त की और उसके लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक व्यापक जनजागरण का अभियान अपने हाथो में लिया है। हम व्यापक जनजागरण के माध्यम से हिन्दू एकता का मार्ग प्रशस्त करनें और जरूरत पड़ेगी तो किसी हिन्दू विरोधी गतिविधि का मुॅहतोड़ जवाब भी देगें।
बाबरी ढांचों के विध्वंश को सी.बी.आई. द्वारा राष्ट्रीय अपराध कहने की निन्दा की तथा मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार का स्वागत करते हुये आशा व्यक्त किया कि धर्म संसद और माननीय उच्चतम न्यायालय की फटकार से कांग्रेस नेतृत्व की आखें खुलेंगी।

Wednesday, February 6, 2013

दिल्ली: इस बार विदेशी महिला हुई दुष्कर्म की शिकार

बीती रात एक 23 साल की विदेशी महिला ने अपने भारतीय दोस्त पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। इस सिलसिले में हौज़ ख़ास थाने में मामला भी दर्ज किया गया है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी का नाम तारिक शेख़ है। 28 साल का तारिक एक मैनेजमेंट स्टूडेंट हैं और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की के देश की एंबेसी को भी घटना की सूचना दे दी गई है। कहा जा रहा है कि पीड़ित गुड़गांव की एक कंपनी में बतौर ट्रेनी काम करती है।

विदेशी लडकी से हुए इस काण्ड के बलात्कारी को भले ही पुलिस ने दबोच लिया है परन्तु भारत की छवि पूरे विश्व में 16 दिसम्बर को देश की राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार से दागदार हुई थी, अब इसके दो माह अंदर निरंतर हो रहे बलात्कार की घटनाओं के बाद विदेशी लडकी के साथ हुए बलात्कार की घटना ने पूरे विश्व के लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि भारत की सरकार आखिर कर क्या रही है। क्यों सरकार कडे से कडे कदम उठा कर इस प्रवृति को जमीदोज कर रही है। कई देशों से अपने भारत जाने वाले नागरिकों को यहां पर सावधानी बरतने की हिदायत तक जारी कर दी है। दामिनी प्रकरण से जो जनाक्रोश पूरे देश में उमडा था उसके बाद भी इसके दोषियों को सजा देने में देश के हुक्मरान कितने अनमने ढंग से काम कर रहे है। कभी अपराधी को उम्र की ढाल तो कभी मानवाधिकार वाली ढाल का प्रयोग करके देश की जनता का आक्रोश बढा रहे है। अगर यहां कानून व्यवस्था कडी होती तो 6 फरवरी को रेप के लिए कुख्यात हो चूके हौजखास इलाके में 23 साल की चीन की लड़की के साथ पार्टी ऑर्गेनाइजर तारिक शेख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता व नहीं दिल्ली में 4 फरवरी को लाजपत नगर के समीप जलविहार में एक 24 वर्षीय युवती से बलात्कार की कोशिश करने में नकाम रहने पर अपराधी ने उसके गले में लोहे की राड ही डाल कर गंभीर रूप से घायल करने की हिम्मत ही जुटाता। 3 फरवरी को उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में 20 साल की एक युवती को उसके मकान मालिक के बेटे व उसके दो साथियों ने धोखे से नशीला पदार्थ खिलाकर तीन युवकों द्वारा गैंग रेप किया। यही नहीं 26 जनवरी की परेड़ में सम्मलित होने आये पूर्वोत्तर की छात्राओं से जिस प्रकार से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से गुवाहाटी जाते समय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जवानों पर छेड़छाड़ किया। इन 9 आरोपी जवानों को मुगलसराय स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। यही नहीं केवल आम युवक या सामान्य लोग ही इस मामले में जिम्मेदार है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानी आईएएस शशिभूषण जो उप्र सरकार के विशेष सचिव (तकनीकी शिक्षा) पर पर आसीन थे उन्होंने अक्टूबर 2012 में गाजियाबाद से लखनऊ समय लखनऊ मेल में सफर कर रही एक युवती से साथ दुष्कर्म की कोशिश जिसको रेल में सुरक्षा बल ने पकडा उसके बाद उसे जेल भेजा गया।

राहुल गांधी बने महादेव और सोनिया लक्ष्मीबाई!

राहुल गाँधी ने कुछ दिन पहले "सत्ता जहर है" वाला बयान दिया था, अब कांग्रेसियों ने उन्हें "नीलकंठ" के रूप में दिखाने वाला पोस्टर लगाया है. क्या मतलब है इसका ? क्या सत्ता का जहर राहुल के गले में अटक गया है, या वो सत्ता का जहर निगल भी नहीं रहे हैं और उगलना भी नहीं चाहते ?
कुछ कांग्रेसी समर्थकों ने कुम्भ में विवादित चित्र लगाए हैं. कुंभ क्षेत्र में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के दो विवादित पोस्टरों ने मामले को और गरम कर दिया| कांग्रेस के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कुंभ क्षेत्र में दो विवादित पोस्टर लगाए हैं| एक पोस्टर पर राहुल गांधी की तुलना नीलकंठ महादेव से की गई है तो दूसरे में सोनिया गांधी को रानी लक्ष्मी बाई के रूप में दर्शाया गया है| दोनों ही पोस्टरों को मेले क्षेत्र में प्रशासन की अनुमति के बिना लगाया गया है| संगम क्षेत्र में प्रवेश करते ही अखाड़ों के प्रवेश द्वार पर इलाहाबाद के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने एक पोस्टर में राहुल गांधी को भगवान शंकर का रूप दे दिया है| इसमें एक तरफ राहुल नज़र आ जायेंगे, दूसरी तरफ भगवान शिव की तस्वीर है| उनके माथे पर तीसरी आंख बनाई गई है | उनके गले के हिस्से को नीले रंग से दर्शाते हुए उनकी तुलना नील कंठ भगवान से की गई है| तस्वीरों के ठीक नीचे लिखा गया है कि सत्ता में जहर है, ठीक है और जो जहर पीता है' वही नीलकंठ होता है'| आगे लिखा है कि "उठा लो हलाहल और शंकर हो जा"| इस होर्डिंग को लगाने वाले कांग्रेस के स्थानीय नेता बाबा अभय अवस्थी का कहना है कि जिस तरह से बिना मतलब के पिछले तीन दिन से बीजेपी के लोग धर्म क्षेत्र को राजनैतिक अखाड़े में तब्दील कर रहे हैं उसी तरह हम भी चाहते हैं कि राहुल गांधी जन कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करें और यहां कुंभ क्षेत्र में आएं| और इसी तरह से कुछ महिना पहले रामलीला मैदान में भी कांग्रेसी लोगों ने सम्मेलन किया था वहाँ पर भी रामलीला मैदान दिल्ली की मस्जिद वाली साईड में सोनिया गाँधी को माँ भवानी के रूप मे दिखाया गया था याद है की आप लोग भूल गए हिन्दू लोगों को भूलने की बिमारी ज्यादा होती है. रामलीला मैदान की वो फोटो सबसे पहले संजय सिंह जी व महावीर प्रसाद जी सोशल मिडिया राष्ट्रवादीयों ने अपने कैमरे में खिंची थी वही पर इलाहाबाद में ये कांग्रेसी लोगों ने महादेव शंकर को अपमानित किया है. वाह रे कांग्रेसियोंए बहुत ही कमाल के लोग होए एक तरफ तो हिन्दुओ को आंतकवादी कहते होए दूसरी तरफ हिन्दुओ के देवी ओर देवता की जरिये वोट मागते होए रानी लक्ष्मी बाई का भी नाम बदनाम करते हो, जिसने हिन्दुओ के लिये आखरी दम तक लड़ा था. तुम कांग्रेस ओर तुम्हारी मां ओर तुम्हारा ये भाई कब तक हिन्दुओ को वेवकूफ बनाओगे ये तो अब आने वाला समय ही बतायेगए दोगले लोग है ये मेरे भइयों अब भी अगर आप लोगो की आंख नही खुली तो समझ लो हिन्दुस्तान को लुटा कर ही रहेगा. ये तीनमूर्ति हमे कही का भी नही छोड़ेगेए अब भी समझ जाओ. अभी भी वक्त हैए सब कुछ तो लुट चुका है. जो थोड़ा बहुत बाकी है इसे तो मत लूटने दो, मेरी आप लोगो से निवेदन है की किसी तरह से हिन्दुस्तान को पाकिस्तान जैसा हाल ना होने दो. ये मामला इस बार इलेक्ट्रिक मीडिया ने अभी तक नहीं दिखाया है ये लोग आज भी हमारे सर पर बैठकर हिन्दूऔ के जबरदस्ती देवता बनकर बैठे है कल ये चुनाव में होंगे और हमने या आपके परिवार वालों ने पिछले वर्षों की तरह गलती से भी वोट दे दिया तो आप लोगों अपने घर में देवताऔ की नहीं इन इटली वाले खानदान की पूजा करनी होगी.

नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है

 नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम पद के लिए अपनी हवा बनाने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन हवा निकालने में माहिर कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति तैयार कर ली है वो है जेडीयू को बीजेपी ओर एनडीए से अलग करना । वह सीधे तो मोदी पर प्रहार नहीं करेगी, लेकिन एनडीए के साथियों की सांसों में जहर घोलकर बीजेपी को बहुत परेशान जरूर करेगी। कांग्रेस की कोशिश है कि कैसे भी करके एनडीए के सहयोगियों को अपने हितों की याद दिलाकर माहौल की रफ्तार को रोका जाए। बीजेपी के साथी दलों के सरोकारों की समझ को बढ़ाया जाए। एनडीए इसी से कमजोर होगा। लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल बाकी है। जो लोग इस आस में बैठे हैं कि चुनाव वक्त से पहले होंगे, अपनी नजर में वे कोई बहुत समझदार सोच के स्वामी नहीं हैं। कांग्रेस इतनी बेवकूफ नहीं हैं, जो रात ढलने से पहले ही अपनी चलती दुकान बंद करके घर बैठ जाए। ऐसा कोई नहीं करता। जो करता है, वो भरता है। अपने अटलजी को ही देख लीजिए, इंडिया शाइनिंग की चकाचौंध में आकर फील गुड के फैक्टर में वक्त से कुछ पहले ही चुनाव मैदान में उतर गए थे। लेकिन मैदान से सीधे घर गए, जो आज तक घर से बाहर नहीं निकले। लेकिन फिर भी बीजेपी में इस बार भी वक्त से बहुत पहले से ही हलचल बहुत तेज है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वक्त से बहुत पहले दावेदारी के केंद्र में आने से कई बार जो सहज नुकसान संभव है, उसकी भरपाई लगभग असंभव हुआ करती है। पर, मोदी तो असंभव में भी संभव की तलाश के लिए माहिर माने जाते हैं। शायद यही कारण है कि वे अभी से तैयार हैं राजनीति में हमेशा कुछ भी बहुत तय नहीं होता। जेडीयू को वैसे भी मोदी के नाम पर शुरू से ही एतराज रहा है। वैसे, नीतिश कुमार यह जानते हैं कि वे अभी इतने बड़े नहीं हुए हैं कि देश उनको पीएम के मामले में गंभीरता से ले। लेकिन मोदी विरोध के जरिए अपने बिहार के अल्पसंख्यकों के दिलों को जीतकर फिर बिहार पर राज करने ने की उनकी मंशा हैं। उधर, एनडीए के संयोजक शरद यादव ने सिर्फ इतना सा, कि – गठबंधन बहुत मुश्किल से बनते हैं, कांग्रेस इस माहौल के बढ़ने का मौका देख रही है अब बीजेपी को चाहिये की वो या तो नितीश को मनाये या फिर जल्दी ही जेडीयू से रिश्ता तोड़े, बिना अपनी लाइन सॉफ किये बीजेपी को कोई फायदा नही होगा.

विश्व गुरू रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन के गर्त में....

कभी विश्व गुरू व सोने की चिडिया रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन के गर्त में कभी भारत विश्व में अपने ज्ञान विज्ञान के रूप में जगतगुरू के रूप में जाना जाता था। यहां विकास व वैभव का सागर अंगडाई लेता था इसी कारण संसार भर में इसे सोने की चिडिया कहा जाता था। इसकी प्रसिद्ध के कारण ही चंगैज, गजनवी, मुगल, सिकंदर व यूरोपिय लुटेरे भारत पर काबिज होने के लिए बारबार आक्रमण करते थे। 1947 में विदेशी लुटेरों से भले ही भारत को आजादी मिल गयी हो परन्तु आजाद भारत की नींव को पश्चिमी संस्कृति के मोहपाश में बंधे भारतीय हुक्मरानों ने प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति का अनुशरण करने के बजाय हिंसा, लूटमार व शोषण की बुनिया पर खड़ी पश्चिमी सभ्यता की तरह रखने का आत्मघाती भूल की। उसी की वजह है कि आज एक तरफ हमारे आजादी के समय ही अपने विकास का सफर करने वाला चीन, जापान, इस्राइल आदि देश विश्व में अपना परचम फेहरा रहे है। वहीं भारत आजादी के 65 साल बाद भी अपनी भाषा को ही नहीं अपितु अपने नाम के लिए भी तरस रहा है। भारतीय पतन की इतनी शर्मनाक स्थिति है कि उसी फिरंगी तंत्र व भाषा को भी आजादी के बाद बेशर्मी से ढोते हुए खुद को विश्व का सबसे बडी लोकशाही का तकमा दे रहा है। 

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कितनी शर्मनाक है कि यहां देश की राजधानी के नामी चिकित्सालय सफदरगंज में ही विगत पांच साल में 8 हजार से अधिक बच्चे इस अस्पताल में इस अस्पताल की बदहाली के कारण दम तोड़ चूके है। देश के दूरस्थ क्षेत्रों में तो पहले अस्पताल ही नहीं है तो वे डाक्टर व दवा के बगैर खुद ही बीमार पडे है। भारत में शिक्षा की स्थिति इस बात से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कभी विश्व में ज्ञान विज्ञान के कारण जगतगुरू की पदवी पर सम्मानित भारत के आज स्थिति इतनी शर्मनाक है कि पूरे विश्व के प्रथम मानक रखने वाली 200 विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम तक नहीं है। देश में जनप्रतिनिधी व नौकरशाह इतने भ्रष्ट हो गये हैं कि देश के अधिकांश दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले पर एक दूसरे को संरक्षण देने के कारण न्याय की देहरी में ही दम तोड़ रहे है। देश की सरकारें इतनी पतित हो गयी है कि देश के संसाधनों को लूट कर भ्रष्ट लोगों ने विकास के पैसे को विदेशों में छुपा रखा हे। देश में धर्म के नाम पर संकीर्णता व कटरपंथ ही सर उठा कर देश की एकता व अखण्डता को तबाह करने में तुले हुए है। यही नहीं देश के हुक्मरान भारतीय हितों के बजाय अमेरिका व अपने निहित स्वार्थो के लिए देश के हितों को दाव पर लगा रहे है। देश की संसद, कारगिल, मुम्बई सहित पूरे देश को आतंकी हमलों से लहूलुहान करने वाले पाक व उसके संरक्षक अमेरिका को मुहतोड़ जवाब देने के बजाय देश के हुक्मरान नपुंसकों की तरह दोस्ती की पींगे बढ़ा कर विश्व में भारत की जगहंसाई करा रहे हैं। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि देश की सीमा की सुरक्षा में लगे सैनिकों का सरकाटने की धृष्टता पाकिस्तान करता है इसके बाबजूद भी भारतीय हुक्मरानों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है।  

देश में कानून व्यवस्था की हालत कितनी अराजक है इसका नजारा 16 दिसम्बर को देश की राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार से जग जाहिर हो गयी। इसके दोषियों को सजा देने में देश के हुक्मरान कितने अनमने रहे यह भी स्पष्ट हो गया है। इस काण्ड के बाबजूद दिल्ली में 5 फरवरी को लाजपत नगर के समीप जलविहार में एक 24 वर्षीय युवती से बलात्कार की कोशिश करने में नकाम रहने पर अपराधी ने उसके गले में लोहे की राड ही डाल कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। यही नहीं 26 जनवरी की परेड़ में सम्मलित होने आये पूर्वोत्तर की छात्राओं से जिस प्रकार से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से गुवाहाटी जाते समय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जवानों पर छेड़छाड़ किया। इन 9 आरोपी जवानों को मुगलसराय स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। यही नहीं केवल आम युवक या सामान्य लोग ही इस मामले में जिम्मेदार है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानी आईएएस शशिभूषण जो उप्र सरकार के विशेष सचिव (तकनीकी शिक्षा) पर पर आसीन थे उन्होंने अक्टूबर 2012 में गाजियाबाद से लखनऊ समय लखनऊ मेल में सफर कर रही एक युवती से साथ दुष्कर्म की कोशिश जिसको रेल में सुरक्षा बल ने पकडा उसके बाद उसे े जेल भेजा गया। यही नहीं नवम्बर 2012 में भिवानी से कानपुर जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में कानपुर के सेशन जज की पुत्री अपने पति के साथ कानपुर जा रही थी। उसके साथ शिकोहाबाद व मैनपुरी के बीच फतेहगढ़ के मेजर एसडी सिंह मेडिकल काजेल के प्रोफेसर डॉ. जय किशन ने छेड़छाड़ करने के आरोप में फर्रूखाबाद जीआपी थाने में मामला दर्ज किया गया। ऐसे मामले में नेता से लेकर बडे अधिकारी लिप्त होने की खबरे आये दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर भारत में कानून व्यवस्था की स्थिति जगजाहिर हो जाती है।  

देश की सत्ता में आसीन मनमोहनी सरकार के कुशासन से आम जनता की जीना हराम कर रखा है। सत्तासीन कांग्रेस पाटी के नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी ,जनता को सुशासन देने व ऐसे मनमोहनी कुशासकों को हटाने के बजाय घडियाली आंसू बहा कर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे है। मुख्य विपक्षी दल में सरकार के कुशासन के खिलाफ प्रचण्ड संघर्ष करने के बजाय कौन बनेगा प्रधानमंत्री बनने के दीवास्वप्न में खो कर अपने दल व देश की जनता की आशाओं पर बज्रपात कर रहे हैं। परन्तु न तो देश के हुक्मरानों व नहीं देश की जनता में जरा सी भी चू तक हो। विश्व बैंक की एक आर्थिक विकास रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन विश्व की सबसे तेजगति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गयी है। सन् 2012 में चीन की आर्थिक विकास दर 7.8 रही है। वहीं भारत की 4.5 फीसद रही । एशिया के इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, थाईलैंड और वियतनाम में आर्थिक विकास की रफ्तार दर 5.7 रही. इन देशों से ही नहीं अपितु भारत की विकास की दर से भारत के पडोसी देश बांग्लादेश में विकास दर से भी कम रही।आईएमएफ के रिसर्च विंग के प्रमुख थॉमस हेलबलिंग के अनुसार भारत में गत वर्ष विदेशी निवेश कम हुआ। उन्होंने आशंका जताई है कि अगर भारत में विदेशी निवेश नहीं बढ़ा तो विकास दर और धीमी हो सकती है। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि भारत के बडे भू भाग पर चीन ने ही नहीं अपितु पाक ने भी दशकों से कब्जा करा हुआ है। परन्तु क्या मजाल की देश के हुक्मरान इस दिशा में एक कदम भी ठोस उठा रहे है। देश में एक तरफ कुशासन से त्रस्त है। वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों ने सवा सो से अधिक जनपदों में अपनी पेंठ बना कर देश जहां सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इस्लामी आतंकियों का जाल बंगलादेशी घुसपेटियों व सत्तालोलुपु खुदगर्ज भ्रष्टनेताओं के कारण पूरे भारत को अपने शिकंजे में जकडते जा रहा है। परन्तु क्या मजाल की अमेरिका, चीन व पाक के बाहरी दुश्मनों के दशकों से भारत को तबाह करने के निरंतर षडयंत्रों के बाबजूद तथा नक्सली व आतंकी खतरों से आकंण्ठ घिरे भारत की ईमानदारी से सुध लेने की इस देश के हुक्मरानों, राजनेताओं व प्रबुद्ध जनों को एक पल की भी फुर्सत तक नहीं है। 

Tuesday, February 5, 2013

33 करोड़ हिन्दू देवी देवताओं के सच पूरा

हम लोगों ख़ास कर मुगलों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं. मुस्लिमों की ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि भगवान् ने मूर्खता का सारा ठेका. थोक के भाव में मुगलों को ही दे रखा है. तभी वे, कभी भी अक्ल की बात करते ही नहीं हैं! मुस्लिमों की देखा देखी आज कल उनके सरपरस्त और वर्णसंकर प्रजाति के लोगों को भी (जिसे आधुनिक बोलचाल की भाषा में "सेक्यूलर" भी कहा जाता जाता है) भी ऐसा ही बोलते देखा जा सकता है! 33 कोटि देवी देवता का अर्थ 33 प्रकार होता है और करोड़ भी। लेकिन ऐसा है नहीं और, सच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है! दरअसल हमारे वेदों में उल्लेख है. 33 "कोटि" देवी-देवता! अब "कोटि" का अर्थ "प्रकार" भी होता है और. "करोड़" भी! तो मूर्खों ने उसे हिंदी में. करोड़ पढना शुरू कर दिया. जबकि वेदों का तात्पर्य. 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है. (उच्च कोटि. निम्न कोटि इत्यादि शब्द) तो आपने सुना ही होगा. जिसका अर्थ भी करोड़ ना होकर प्रकार होता है) ये एक ऐसी भूल है. जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया! इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ सकते हैं! अगर कोई कहता है कि बच्चों को "कमरे में बंद रखा" गया है! और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले कि... बच्चों को कमरे में "बंदर खा गया" है! कुछ ऐसी ही भूल. अनुवादकों से हुई अथवा दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया. ताकि, इसे हाइलाइट किया जा सके! सिर्फ इतना ही नहीं. हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-साफ उल्लेख है कि. "निरंजनो निराकारो.. एको देवो महेश्वरः" अर्थात इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन... निराकार महादेव हैं...! साथ ही यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है कि हिन्दू सनातन धर्म. मानव की उत्पत्ति के साथ ही बना है. और प्राकृतिक है. इसीलिए. हमारे धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीना बताया गया है. और, प्रकृति को भी भगवान की उपाधि दी गयी है. ताकि लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें! जैसे कि..गंगा को देवी माना जाता है. क्योंकि.. गंगाजल में सैकड़ों प्रकार की हिमालय की औषधियां घुली होती हैं..! गाय को माता कहा जाता है. क्योंकि गाय का दूध अमृततुल्य. और, उनका गोबर एवं गौ मूत्र में विभिन्न प्रकार की औषधीय गुण पाए जाते हैं! तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है कि... तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय गुण हैं.! इसी तरह वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और, थके हुए राहगीर को छाया भी प्रदान करते हैं...! यही कारण है कि. हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में. प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है. क्योंकि, प्रकृति से ही मनुष्य जाति है. ना कि मनुष्य जाति से प्रकृति है..! कालांतर में ईसाई और इस्लाम सरीखे. बिना सर-पैर वाले सम्प्रदायों के आ जाने के कारण और, उनके द्वारा. प्रकृति का सम्मान नहीं करने के कारण ही. आज हम ग्लोबल वार्मिंग वार्मिंग और, ओजोन परत जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं! अतः. प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है. ! यही कारण है कि. हमारे धर्म ग्रंथों में. सूर्य, चन्द्र. वरुण. वायु. अग्नि को भी देवता माना गया है. और, इसी प्रकार. कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं.! इसीलिए, आप लोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें. क्योंकि. ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं. जो निरंजन... निराकार महादेव हैं...! बाकी के ईसा मसीह वगैरह. को संत या महापुरुष कहा जा सकता है. परन्तु भगवान् नहीं!