Friday, February 15, 2013

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (AMU) के 60 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सोनिया गांधी

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के 16 फरवरी को होने वाले 60 वें दीक्षांत समारोह की सभी तैयारी पूरी है इसके साथ ही यह सवाल भी तैरने लगे हैं कि मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आने का राजनीतिक सबब क्या है? वैसे फिलहाल तो सोनिया के एएमयू में आने से कांग्रेस और यूनिवर्सिटी दोनों ही पक्षों को फायदा होता दिखाई दे रहा है।

यूनिवर्सिटी प्रशासन को लग रहा है कि सोनिया चूंकि सत्तारूढ़ यूपीए की अध्यक्ष हैं इसलिए विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की राह उनके आने से आसान होगी। दूसरी ओर सन 2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होकर सोनिया देश के अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं में एक संदेश भी देना चाहती हैं, जिससे उनका झुकाव वह पार्टी की ओर कर सकें।

वैसे राहत की बात यह है कि इस दीक्षांत समारोह की राह में सोनिया गांधी के लिए कुछ दिनों पहले तक दिखाई दे रहे रुकावट के पत्थर हट चुके हैं। कुछ दिन पहले हुए छात्र संघ चुनाव में मुखर रहा अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा सोनिया के समक्ष रखने पर सहमति हो चुकी है। जबकि इससे पहले घोषणाएं की गईं कि पहले दर्जे बहाली की घोषणा हो तब वह कैंपस में कदम रखें।

सब कुछ ठीक ही था कि संसद हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू की फांसी के बाद एएमयू का माहौल सरमगर्म हो गया था। विश्वविद्यालय के कश्मीरी छात्रों ने नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी। एक दिन बाद फांसी के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकाला। लेकिन जल्द ही उन्हीं की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि सोनिया के आगमन से उनका कोई विरोध नहीं है, उनका यहां स्वागत है। अब सब कुछ ठीक हो चला है।

वहीं, जानकारों का मानना है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक स्वरुप बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरोकारी का वादा कर सकती हैं। लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पास न होने के बारे में उनका तर्क यह हो सकता है कि सदन में उनके पास दो तिहाई बहुमत नहीं है। इसके अलावा यहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौगात की घोषणा भी कर सकती हैं।

देखना यह है कि दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय को इस मेजबानी के एवज में क्या मिलता है? और 2014 में कांग्रेस को सोनिया के विश्वविद्यालय में आने का क्या फायदा मिलता है? यह अभी भविष्य की बात है।

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