कभी
विश्व गुरू व सोने की चिडिया रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन
के गर्त में
कभी भारत विश्व में अपने ज्ञान विज्ञान के रूप में जगतगुरू के रूप में जाना
जाता था। यहां विकास व वैभव का सागर अंगडाई लेता था इसी कारण संसार भर में
इसे सोने की चिडिया कहा जाता था। इसकी प्रसिद्ध के कारण ही चंगैज, गजनवी,
मुगल, सिकंदर व यूरोपिय लुटेरे भारत पर काबिज होने के लिए बारबार आक्रमण
करते थे। 1947 में विदेशी लुटेरों से भले ही भारत को आजादी मिल गयी हो
परन्तु आजाद भारत की नींव को पश्चिमी संस्कृति के मोहपाश में बंधे भारतीय
हुक्मरानों ने प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति का अनुशरण करने के बजाय
हिंसा, लूटमार व शोषण की बुनिया पर खड़ी पश्चिमी सभ्यता की तरह रखने का
आत्मघाती भूल की। उसी की वजह है कि आज एक तरफ हमारे आजादी के समय ही अपने
विकास का सफर करने वाला चीन, जापान, इस्राइल आदि देश विश्व में अपना परचम
फेहरा रहे है। वहीं भारत आजादी के 65 साल बाद भी अपनी भाषा को ही नहीं
अपितु अपने नाम के लिए भी तरस रहा है। भारतीय पतन की इतनी शर्मनाक स्थिति
है कि उसी फिरंगी तंत्र व भाषा को भी आजादी के बाद बेशर्मी से ढोते हुए खुद
को विश्व का सबसे बडी लोकशाही का तकमा दे रहा है।
भारत
में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कितनी शर्मनाक है कि यहां देश की राजधानी के
नामी चिकित्सालय सफदरगंज में ही विगत पांच साल में 8 हजार से अधिक बच्चे इस
अस्पताल में इस अस्पताल की बदहाली के कारण दम तोड़ चूके है। देश के दूरस्थ
क्षेत्रों में तो पहले अस्पताल ही नहीं है तो वे डाक्टर व दवा के बगैर खुद
ही बीमार पडे है।
भारत में शिक्षा की स्थिति इस बात से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि
कभी विश्व में ज्ञान विज्ञान के कारण जगतगुरू की पदवी पर सम्मानित भारत के
आज स्थिति इतनी शर्मनाक है कि पूरे विश्व के प्रथम मानक रखने वाली 200
विश्वविद्यालयों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम तक नहीं है।
देश में जनप्रतिनिधी व नौकरशाह इतने भ्रष्ट हो गये हैं कि देश के अधिकांश
दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले पर एक दूसरे को संरक्षण देने के
कारण न्याय की देहरी में ही दम तोड़ रहे है। देश की सरकारें इतनी पतित हो
गयी है कि देश के संसाधनों को लूट कर भ्रष्ट लोगों ने विकास के पैसे को
विदेशों में छुपा रखा हे।
देश में धर्म के नाम पर संकीर्णता व कटरपंथ ही सर उठा कर देश की एकता व
अखण्डता को तबाह करने में तुले हुए है।
यही नहीं देश के हुक्मरान भारतीय हितों के बजाय अमेरिका व अपने निहित
स्वार्थो के लिए देश के हितों को दाव पर लगा रहे है। देश की संसद, कारगिल,
मुम्बई सहित पूरे देश को आतंकी हमलों से लहूलुहान करने वाले पाक व उसके
संरक्षक अमेरिका को मुहतोड़ जवाब देने के बजाय देश के हुक्मरान नपुंसकों की
तरह दोस्ती की पींगे बढ़ा कर विश्व में भारत की जगहंसाई करा रहे हैं।
हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि देश की सीमा की सुरक्षा में लगे सैनिकों का
सरकाटने की धृष्टता पाकिस्तान करता है इसके बाबजूद भी भारतीय हुक्मरानों
के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है।
देश में
कानून व्यवस्था की हालत कितनी अराजक है इसका नजारा 16 दिसम्बर को देश की
राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए सामुहिक बलात्कार से जग
जाहिर हो गयी। इसके दोषियों को सजा देने में देश के हुक्मरान कितने अनमने
रहे यह भी स्पष्ट हो गया है। इस काण्ड के बाबजूद दिल्ली में 5 फरवरी को
लाजपत नगर के समीप जलविहार में एक 24 वर्षीय युवती से बलात्कार की कोशिश
करने में नकाम रहने पर अपराधी ने उसके गले में लोहे की राड ही डाल कर गंभीर
रूप से घायल कर दिया। यही नहीं 26 जनवरी की परेड़ में सम्मलित होने आये
पूर्वोत्तर की छात्राओं से जिस प्रकार से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से
गुवाहाटी जाते समय सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जवानों पर छेड़छाड़ किया। इन 9
आरोपी जवानों को मुगलसराय स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। यही नहीं केवल आम
युवक या सामान्य लोग ही इस मामले में जिम्मेदार है। भारतीय प्रशासनिक सेवा
के अधिकारी यानी आईएएस शशिभूषण जो उप्र सरकार के विशेष सचिव (तकनीकी
शिक्षा) पर पर आसीन थे उन्होंने अक्टूबर 2012 में गाजियाबाद से लखनऊ समय
लखनऊ मेल में सफर कर रही एक युवती से साथ दुष्कर्म की कोशिश जिसको रेल में
सुरक्षा बल ने पकडा उसके बाद उसे े जेल भेजा गया। यही नहीं नवम्बर 2012 में
भिवानी से कानपुर जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच में
कानपुर के सेशन जज की पुत्री अपने पति के साथ कानपुर जा रही थी। उसके साथ
शिकोहाबाद व मैनपुरी के बीच फतेहगढ़ के मेजर एसडी सिंह मेडिकल काजेल के
प्रोफेसर डॉ. जय किशन ने छेड़छाड़ करने के आरोप में फर्रूखाबाद जीआपी थाने
में मामला दर्ज किया गया। ऐसे मामले में नेता से लेकर बडे अधिकारी लिप्त
होने की खबरे आये दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर भारत में कानून
व्यवस्था की स्थिति जगजाहिर हो जाती है।
देश की
सत्ता में आसीन मनमोहनी सरकार के कुशासन से आम जनता की जीना हराम कर रखा
है। सत्तासीन कांग्रेस पाटी के नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी ,जनता को
सुशासन देने व ऐसे मनमोहनी कुशासकों को हटाने के बजाय घडियाली आंसू बहा कर
जनता की आंखों में धूल झोंक रहे है। मुख्य विपक्षी दल में सरकार के कुशासन
के खिलाफ प्रचण्ड संघर्ष करने के बजाय कौन बनेगा प्रधानमंत्री बनने के
दीवास्वप्न में खो कर अपने दल व देश की जनता की आशाओं पर बज्रपात कर रहे
हैं।
परन्तु न तो देश के हुक्मरानों व नहीं देश की जनता में जरा सी भी चू तक
हो। विश्व बैंक की एक आर्थिक विकास रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन विश्व की
सबसे तेजगति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बन गयी है। सन् 2012 में चीन
की आर्थिक विकास दर 7.8 रही है। वहीं भारत की 4.5 फीसद रही । एशिया के
इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, थाईलैंड और वियतनाम में आर्थिक विकास की
रफ्तार दर 5.7 रही. इन देशों से ही नहीं अपितु भारत की विकास की दर से भारत
के पडोसी देश बांग्लादेश में विकास दर से भी कम रही।आईएमएफ के रिसर्च विंग
के प्रमुख थॉमस हेलबलिंग के अनुसार भारत में गत वर्ष विदेशी निवेश कम हुआ।
उन्होंने आशंका जताई है कि अगर भारत में विदेशी निवेश नहीं बढ़ा तो विकास
दर और धीमी हो सकती है।
हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि भारत के बडे भू भाग पर चीन ने ही नहीं
अपितु पाक ने भी दशकों से कब्जा करा हुआ है। परन्तु क्या मजाल की देश के
हुक्मरान इस दिशा में एक कदम भी ठोस उठा रहे है। देश में एक तरफ कुशासन से
त्रस्त है। वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों ने सवा सो से अधिक जनपदों में अपनी
पेंठ बना कर देश जहां सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ
इस्लामी आतंकियों का जाल बंगलादेशी घुसपेटियों व सत्तालोलुपु खुदगर्ज
भ्रष्टनेताओं के कारण पूरे भारत को अपने शिकंजे में जकडते जा रहा है।
परन्तु क्या मजाल की अमेरिका, चीन व पाक के बाहरी दुश्मनों के दशकों से
भारत को तबाह करने के निरंतर षडयंत्रों के बाबजूद तथा नक्सली व आतंकी खतरों
से आकंण्ठ घिरे भारत की ईमानदारी से सुध लेने की इस देश के हुक्मरानों,
राजनेताओं व प्रबुद्ध जनों को एक पल की भी फुर्सत तक नहीं है।
Wednesday, February 6, 2013
विश्व गुरू रहे भारत को आत्मघाती हुक्मरानों ने धकेला पतन के गर्त में....
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