Thursday, February 7, 2013

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मामले को बार-बार टाले जाने पर सीबीआई को जमकर फटकार लगाई है।

अयोध्या मे बाबरी ढांचे के विध्वंश को राष्ट्रीय अपराध कहने पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार लगाना स्वागत योग्य है। एक बार पुनः साबित हो चुका है कि सी.बी.आई. कांग्रेस पार्टी के एजेण्ट के रूप में कार्य कर रहा है। मा0 उच्चतम न्यायालय की यह फटकार प्रयागराज महाकुम्भ में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल एवं धर्म संसद में हुये पारित प्रस्तावों की पुष्टि करता है।

सी.बी.आई. कांग्रेस के एजेण्ट के रूप में कार्य करते हुये केवल राजनीतिक विद्वेष की भावना से देश के धर्माचार्यो तथा प्रमुख हिन्दू नेताओं को जबरन मुकदमों में फॅसाकर हिन्दुओं को अपमानित कर रही है। इससे प्रयागराज महाकुम्भ में धर्माचार्यो मे व्यापक आक्रोश है। गोरक्षपीठाधीश्व­र पूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की अध्यक्षता में देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल द्वारा जो छः प्रस्ताव पारित किये, उनमें से अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मन्दिर का निर्माण, धर्मान्तरण की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को पूर्ण प्रतिबन्धित करना, गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिये केन्द्रीय कानून बनाना, गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिये नये सिरे से अभियान प्रारम्भ करना, अवैध घूसपैठ एवं जेहादी आतंकवाद के खिलाफ व्यापक जनजागरण के माध्यम से राष्ट्र की आन्तरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने सम्बन्धित प्रस्ताव पारित किये गये जिसकी पुष्टि देश के 10000 संतो की धर्म संसद ने प्रयागराज महाकुम्भ में किया है।
अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ न होना इस देश के 100 करोड़ हिन्दू जनता का अपमान है। इसके लिये कांग्रेस एवं वे तथाकथित राजनीतिक दल जिम्मेदार है जिन्होनें हिन्दुओं को अपमान करना एकमात्र अपना उद्देश्य बना लिया है। जो लोग इससे पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से सम्बन्धित प्रमाण मांगते थे, आज वे मौन क्यो है? स्वंय सन् 1994 में कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने मा0 उच्चतम न्यायालय में एक शपथ पत्र दाखिल किया था कि अगर यह साबित हो गया कि विवादित ढांचा किसी मन्दिर या हिन्दू स्मारक को तोड़ कर बनाया गया था तो सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी और अगर यह साबित नही हो पाया तो मुसलमानों केे भावनाओं का सम्मान होगा। इस शपथ पत्र के आलोक में दिनांक 30 सितम्बर,2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायलय के लखनऊ खण्डपीठ की एक पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में इस बात को स्पष्ट कहा है कि अयोध्या में विवादित स्थल ही प्राप्त साक्ष्यों एवं प्रमाणों के आधार पर श्रीराम जन्मभूमि है। कांग्रेस नेतृत्व की यू.पी.ए. सरकार को सन् 1994 के अपने शपथ पत्र का संज्ञान लेना चाहिये तथा हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुये अब संसद में प्रस्ताव पारित कर श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ करनी चाहिये। अगर अब भी हिन्दु भावनाओं के खिलाफ कार्य करने से केन्द्र और प्रदेश सरकार बाज नही आई तो धर्म संसद का अन्तिम संकल्प है भीषण संघर्ष। धर्म संसद एवं देश के धर्माचार्यो की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल ने देश में लगातार बढ़ रही हिन्दू विरोधी गतिविधियों पर चिन्ता व्यक्त की और उसके लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अक्षय तृतीया तक व्यापक जनजागरण का अभियान अपने हाथो में लिया है। हम व्यापक जनजागरण के माध्यम से हिन्दू एकता का मार्ग प्रशस्त करनें और जरूरत पड़ेगी तो किसी हिन्दू विरोधी गतिविधि का मुॅहतोड़ जवाब भी देगें।
बाबरी ढांचों के विध्वंश को सी.बी.आई. द्वारा राष्ट्रीय अपराध कहने की निन्दा की तथा मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा सी.बी.आई. को फटकार का स्वागत करते हुये आशा व्यक्त किया कि धर्म संसद और माननीय उच्चतम न्यायालय की फटकार से कांग्रेस नेतृत्व की आखें खुलेंगी।

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