इस्लाम
का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से
सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ
ही जाती है | कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने
और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती है |
इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य
विशेषाधिकार दिए गए हैं | यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो
उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती
हैं |
लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे 72 हूरियों से भरे
'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के
अधिकारी हो जाते हैं |
अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार
योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया
जाता है जैसे कि यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों
मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ
असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा
तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी
शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा |
इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस
प्रकार है
- हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है | उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं | वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है |
- उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है |
- प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है | उसके उरोज उन्नत गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं | हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं |
- हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है |
- हूर का मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है | उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है |
- प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी | जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी |
Be-Buniyad Baatein hai yeh, ISlam ka Gehan Adhyyan Kijiye Janab uske bad POST kare...
ReplyDeleteAstagh-firullah...
such yahi hai mera bhi ek huslim friend ne bataya hai .
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